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मार्क जुकरबर्ग ने ट्विटर के Ex-CEO जैक डॉर्सी को भेजी थ्रेड्स रिक्वेस्ट, रिप्लाई आया…

Jack Dorsey on Threads: मेटा ने जैसे ही ट्विटर के कंपटीटर ऐप, थ्रेड्स को लॉन्च किया तो इसपर ट्विटर के मालिक एलन मस्क और पूर्व सीईओ ने अपनी टिप्पणी की. ट्विटर के एक्स-सीईओ ने इसे कॉपी बताया था. इस बीच, जैक डोर्सी को मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने थ्रेड्स ऐप पर रिक्वेस्ट भेजी है. इसका स्क्रीनशॉट जैक डोर्सी ने ट्विटर पर शेयर किया है और रिप्लाई में कुछ बात लिखी है.

रिप्लाई में लिखी ये बात 

मार्क जुकरबर्ग के रिक्वेस्ट पर जैक डोर्सी ने ट्विटर पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि ये बहुत जल्द हुआ. मेटा के थ्रेड्स ऐप से न एलन मस्क खुश हैं और न ही जैक. जैक ने कुछ समय पहले ऐप के स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लोगों को ये बताया था कि ऐप आपकी सारी इनफार्मेशन चाहता है. इसपर एलन मस्क ने भी रिएक्ट किया था.

इस बीच, मेटा के थ्रेड्स ऐप ने 150 मिलियन का यूजरबेस क्रॉस कर लिया है. इस ऐप को कंपनी ने एंड्रॉइड और iOS के लिए 5 जुलाई को 100 से ज्यादा देशो में लॉन्च किया था. क्योकि ये ऐप इंस्टाग्राम से लिंक्ड है इसलिए इसका यूजरबेस एकदम बड़ा और ट्विटर के लिए ये मुसीबत बना गया है. एक तरफ कंपनी को यूजरबेस में नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ कैश फ्लो भी नेगेटिव चल रहा है. हालांकि थ्रेड्स अभी शुरुआती स्टेज में है इसलिए इसमें ट्विटर जितने फीचर्स नहीं हैं लेकिन कुछ फीचर्स ऐसे हैं जो ट्विटर में सालों से नहीं हैं. इसमें सबसे मेन- एकबार में 10 फोटो और वीडियो पोस्ट कर पाना है. ट्विटर में आप केवल 4 फोटो और वीडियो ही पोस्ट कर सकते हैं.

थ्रेड्स में जल्द आएंगे नए अपडेट

इंस्टाग्राम के सीईओ एडम मोसेरी ने कहा है कि जल्द ऐप में नए फीचर्स एड किए जाएंगे ताकि ये ट्विटर के साथ और अच्छे से कम्पीट कर पाएं. थ्रेड्स यूजर्स को कम्पनी आने वाले समय में एडिट पोस्ट, ट्रेंडिंग और नए टॉपिक खोजने के लिए ऑप्शन दे सकती है. साथ ही फॉलोइंग ऑप्शन भी कंपनी फ्यूचर अपडेट में देगी.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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