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ईवीएम पर्ची मामले में भिंड के डीएम, एसपी को हटाया गया

मध्य प्रदेश में भिंड ज़िले के अटेर में ईवीएम मशीन के डेमो के दौरान किसी भी बटन को दबाने पर वोट भाजपा को मिलने के आरोप के बाद कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटा दिया गया है.

इस मामले में कार्रवाई करते हुए शनिवार रात भिंड के कलेक्टर इलैया राजा टी और एसपी अनिल सिंह कुशवाह को हटाया गया है.

मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलिना सिंह ने दो विधानसभाओं के लिए 9 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव में इस्तेमाल होने वाली मशीनों का डेमॉन्सट्रेशन रखा था.

डेमॉन्सट्रेशन के दौरान अलग-अलग बटन दबाने पर भाजपा के चुनाव निशान कमल की ही पर्ची निकली थी.

इस ख़बर के सामने आने के बाद सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी चुनाव आयोग को चिट्ठी लिख कर प्रदेश में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम में गड़बड़ी होने की आशंका जताते हुए मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग की है. वहीं आम आदमी पार्टी ने मुख्य चुनाव अधिकारी के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर उन्हें हटाने की मांग की है.

चुनाव आयोग ने भोपाल से इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी जिसके बाद देर रात दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया.

अटेर में पहली बार वीवीपैट से चुनाव होने है. इसके ज़रिये मतदाता को ये पता चल जाता है कि उसने जो वोट डाला है वो किस पार्टी को गया है.

पर्ची सिर्फ़ सात सेकंड तक रहती है और उसके बाद वो डिब्बे में चली जाती है. किसी भी किस्म की आपत्ति होने पर मतदाता इसकी शिकायत तुरंत कर सकता है.

अफ़सर की सफ़ाई

इस पूरे प्रकरण पर जब  मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि अटेर में हुआ डेमो सिर्फ़ पत्रकारों को नई व्यवस्था समझाने के लिए था.

उन्होंने सफ़ाई दी कि मशीनें ठीक से कैलिब्रेट नहीं की गई थीं, केवल प्रेस के लोगों की जिज्ञासा शांत करने के लिए दिखाया गया था.

चुनाव आयोग ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्य चुनाव अधिकारी को तलब किया है. सलीना सिंह ने बताया कि उन्होंने पूरी जानकारी चुनाव आयोग को भेज दी है.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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