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अच्छा… तो इस वजह से मैप पर दिखता है ‘लाल सिग्नल’? Google Maps ऐसे लगा लेता है ट्रैफिक का पता!

How Google Maps Locate Traffic: बीते कुछ सालों में Google Maps का चलन काफी ज्यादा बढ़ा है. इसका इस्तेमाल बाइकर्स, ड्राइवर्स, पैदल चलने वाले और सार्वजनिक परिवहन के यात्री एक जगह से दूसरी जगह जाने के दौरान दिशा-निर्देश पाने के लिए करते हैं. गूगल मैप से ना सिर्फ रास्ते का पता चलता है, बल्कि ये भी पता चल जाता है कि आगे कितना ट्रैफिक है. ट्रैफिक होने की स्थिति में गूगल मैप पर लाल सड़क दिखने लगती है. 

क्या आपने कभी सोचा है कि गूगल मैप को आखिर पता कैसे चल जाता है कि आगे ट्रैफिक लगा हुआ है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि कई बार सड़क पर ट्रैफिक घटता-बढ़ता भी रहता है. दरअसल, जब भी किसी रास्ते पर जाम की स्थिति बनती है तो वहां ट्रैफिक स्लो चल रहा है, ये जानकारी देने के लिए गूगल मैप रास्ते में चल रही गाड़ियों में मौजूद यूजर के फोन की लोकेशन ट्रैक करता है और फिर उसका एनालिसिस करता है. इस एनालिसिस के हिसाब से ही वहां ट्रैफिक की स्थिति को दिखाता है. ये गाड़ी की स्पीड और स्मार्टफोन की संख्या के आधार पर डेटा शो करते हैं.

ऐसे चला था पता

बता दें कि साल 2023 में एक शख्स ने बर्लिन में एक टोकरी में 99 फोन रखकर एक खाली रोड का चक्कर लगाया था. लेकिन मोबाइल डाटा के हिसाब से वहां 99 लोग थे, ऐसे में गूगल उस रोड पर ट्रैफिक दिखा रहा था, जबकि ऐसा नहीं था. इससे पता चलता है कि अगर मोबाइल का लोकेशन ऑन रहे तो ये पता लगाया जाता है कि कहां कितना ट्रैफिक है. 

ट्रैफिक हिस्ट्री का भी लगता है पता

इसके साथ ही गूगल मैप पर रूट की ट्रैफिक हिस्ट्री का भी पता लगाया जा सकता है. गूगल देखता है कि आपने जो रूट चूज किया है, वहां हमेशा कितना ट्रैफिक रहता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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