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Google ने लॉन्च किया Gemini Live AI, इंसानों की तरह यूजर से बात करेगा ये टूल

Google Gemini Live launch : गूगल ने 13 अगस्त को हुए अपने Made By Google इवेंट में लेटेस्ट Pixel 9 सीरीज को लॉन्च किया. कंपनी ने इस इवेंट में एक और चीज को अपग्रेड करके लॉन्च की है, जिसका नाम Gemini AI टूल है. कंपनी ने अपग्रेड के साथ Google Gemini Live को भी लॉन्च किया है. अपग्रेडेड Gemini Live  टूल यूजर्स से इसानों की तरह बात करेगा. इसके अलावा यूजर्स इस टूल से कई सारे काम भी करवा सकेंगे. 

Gemini Live की खास बात 

फिलहाल, कंपनी ने अपने इस टूल का एक्स पिक्सल सीरीज में दिया है. बाद में इस टूल को बाकी स्मार्टफोन यूज़र्स के लिए भी रिलीज किया जाएगा. इस टूल की सबसे खास बात है कि इसका यूज करने के लिए आपको इसे कोई टेक्स्ट कमांड नहीं देना होगा. ये सिर्फ आपके बोलने से काम कर देगा. Gemini Live से यूजर्स अंग्रेजी भाषा में बात कर सकते हैं. इसके अलावा Gemini Live टूल पिछली बातों को याद भी रख सकता है और उसी के अनुसार जवाब भी दे सकता है.

Gemini Live AI टूल में यूजर्स की सुविधा को देखते हुए 10 अलग-अलग आवाज दी हुई हैं. यूजर अपनी पसंद की आवाज को सेलेक्ट करके एआई से बात कर सकते हैं. ये टूल इनपुट सपोर्ट के लिए टेक्स्ट, वॉइस और इमेज सभी को समझ सकता है.  इसके अलावा यूजर्स इस टूल की मदद से Gmail और गूगल मेसेज में फोटो को Drag and Drop  कर पाएंगे. यूजर्स Youtube वीडियोज से जुड़ी जानकारी भी इसकी मदद से आसानी से ले सकेंगे.

Gemini Live AI के लिए लेना होगा सब्सक्रिप्शन

गूगल ने इस बात को साफ किया है कि Gemini Live का यूज करते समय यूजर्स का डाटा एक दम सेफ रहेगा. कंपनी के मुताबिक  Gemini Live टूल यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रिजल्ट शो करता है. 

यूजर्स को Gemini Live AI के एडवांस फीचर्स को यूज करने के लिए उसका सब्सक्रिप्शन लेना होगा. कंपनी ने इसके सब्सक्रिप्शन की कीमत 20 डॉलर (1,678 रुपये) रखी है. फिलहाल के लिए यूजर्स को Gemini का फ्री ऐक्सेस मिल रहा है, लेकिन वो इसके एडवांस्ड फीचर का यूज नहीं कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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