टैकनोलजी

WhatsApp अब आपके स्मार्टवॉच में चलेगा, बिना फोन पॉकेट से निकाले होगा सब कुछ, कैसे?

WhataApp Wear OS feature: दुनियाभर में 2 बिलियन से भी ज्यादा लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल हो, डेस्कटॉप हो या टेबलेट, सभी पर वॉट्सऐप इस्तेमाल किया जाता है. अब कंपनी स्मार्टवॉच पर भी लोगों को वॉट्सऐप चलाने का ऑप्शन देने वाली है. मेटा ने कुछ बीटा टेस्टर्स के लिए ‘wear OS’ फीचर लाइव किया है. इस फीचर का इस्तेमाल करने के लिए आपको वॉट्सऐप बीटा के लिए एनरोल करना होगा.

वॉट्सऐप के डेवलपमेंट पर नजर बनाए रखने वाली वेबसाइट wabetainfo के मुताबिक, कंपनी ने ‘wear os’ नाम से एक फीचर उन सभी स्मार्टवॉच के लिए जारी किया है जो इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलती हैं. स्मार्टवॉच से वॉट्सऐप को लिंक करने के लिए घड़ी में लोगों को 8 डिजिट का कोड मिलेगा जिसे उन्हें मोबाइल पर एंटर करना होगा. ऐसा करते ही वॉट्सऐप चैट और मेसेजेस स्मार्टवॉच में Sync हो जाएंगी. ये हो जाने के बाद यूजर्स फोन को बिना पॉकेट से निकाले मैसेज का रिप्लाई और वॉइसनोट को सुन या भेज पाएंगे.

अच्छी बात ये है कि स्मार्टवॉच से भेजे गए मैसेज भी एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होंगे. यानि आपकी प्राइवेसी बनी रहेगी.  

जल्द एंड्रॉइड यूजर को मिलेगा ये फीचर 

मेटा एंड्रॉइड यूजर्स को जल्द IOS पर पहले से मौजूद मिसकॉल अलर्ट फीचर देने वाला है. दरअसल, IOS में वॉट्सऐप यूजर्स को मिसकॉल ‘कॉल सेक्शन’ में रेड कलर से दिखाई देती है. ऐसा ही फीचर अब एंड्रॉइड यूजर्स को भी मिलेगा और वे भी मिसकॉल को अलग से आइडेंटिफाई कर पाएंगे. इसके अलावा मेटा वॉट्सऐप यूजर्स को चैट लॉक, स्टेटस पर वॉइस नोट, IOS के लिए कम्यूनिटी चैनल फीचर आदि कई नए फीचर्स इस साल प्रदान करने वाला है. कंपनी का एकमात्र मकसद लोगों को ऐप पर बेहतर एक्सपीरियंस प्रदान करना है. 

News Reels

यह भी पढ़ें; WhatsApp Web में इन लोगों को मिला ये खास फीचर, जल्द एंड्रॉइड पर भी आएगा

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button