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penAI और Microsoft मिलकर बना रहे सबसे पावरफुल सुपर कंप्यूटर, कीमत ये

OpenAI and Microsoft Supercomputer: माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई साथ मिलकर एक डेटा सेंटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसकी लागत तकरीबन 100 बिलियन डॉलर हो सकती है. जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस सुपर कंप्यूटर बनाना भी शामिल है. इस सुपर कम्प्यूटर का नाम Stargate होगा, जिसे साल 2028 तक लॉन्च किया जा सकता है. 

The Information की रिपोर्ट के मुताबिक, सैम ऑल्टमेन औऱ माइक्रोसॉफ्ट ने इस सुपर कंम्प्यूटर को पांच चरणों में तैयार करने का फैसला किया है, इसमें स्टारगेट पांचवा चरण है. माइक्रोसॉफ्ट अभी ओपनएआई के लिए चौथे चरण के छोटे सुपर कम्प्यूटर पर काम कर रहा है, जो कि 2026 तक लॉन्च हो सकता है. इसके अलावा दूसरे चरणों की लागत का बड़ा हिस्सा एआई चिप्स खरीदने में लगेगा. 

कितनी हो सकती है चिप की कीमत

Nvidia के सीईओ जेन्सेन हुआंग के मुताबिक, इन चिप की कीमत 30 हजार डॉलर से 40 हजार डॉलर तक हो सकती है. माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले साल नवंबर महीने में कस्टम डिजाइन किए गए कंप्यूटिंग चिप की एक जोड़ी की घोषणा भी की थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ्ट इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस करेगा, जो कि मौजूदा डाटा सेंटर्स से 100 गुना ज्यादा महंगा होने वाला है. 

माइक्रोसॉफ्ट गूगल को टक्कर देने के लिए काफी पहले से एआई पर बड़ा दांव लगा रहा है. जनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की बढ़ती मांग को देखते हुए ही पारंपरिक डेटा केंद्रों की तुलना में उन्नत कार्यों को संभालने में सक्षम एआई डेटा केंद्रों पर अधिक जोर दिया जा रहा है. माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता फ्रैंक शॉ ने अपने एक बयान में कहा कि हम एआई क्षमता की सीमा बढ़ाने के लिए अगली पीढ़ी के इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना बना रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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