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स्नोबॉल से मार खाते शूटिंग तक पहुँची थी शर्मिला टैगोर, जानिए ‘दाग’ के सेट का मज़ेदार किस्सा

Sharmila Tagore Share The Interesting Story Of Daag: राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर और राखी स्टारर यश चोपड़ा (Yash Chopra) की ‘दाग’ का नाम इंडियन सिनेमा (Indian Cinema) की सबसे रोमांटिक मूवीज (Romantic Movies) में लिया जाता है. इस शानदार फिल्म को रिलीज हुए पूरे 50 साल हो गए हैं. इसी के बाद शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) ने बताया कि कौन सी चीज ने राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के साथ उनकी जोड़ी को इतना हिट बना दिया था. इसके साथ इस मूवी ने यशराज फिल्म्स (Yash Raj Films) की शुरुआत को भी देखा है. इसी मौके पर शर्मिला टैगोर ने फिल्म से जुड़ी हुई कई मजेदार बातों को शेयर किया है.

शर्मिला टैगोर ने शेयर की दिलचस्प बातें

शर्मिला टैगोर ने बताया कि, ‘मुझे लगता है कि यह बहुत ही ताज्जुब की बात है कि ‘दाग’ को बने हुए पूरे 50 साल हो गए हैं, फिर भी फिल्म और इसके गाने आज भी इतने मशहूर हैं. दरअसल, हाल ही में मनोज बाजपेयी (मैंने उनके साथ गुलमोहर बनाई थी) लगातार एक चेहरे पर दूसरे चेहरे लगा लेते हैं लोग गा रहे थे. मुझे उसे बताना पड़ा कि प्लीज इसे मत गाइए. जब मुझे ‘दाग’ ऑफर की गई तो ये मेरे लिए सच में एक अनोखी खुशी थी. मैंने इसे यश के पहले वेंचर, एक निर्माता के रूप में उनकी पहली फिल्म का हिस्सा बनने के लिए एक बड़ी तारीफ और ऑनर के रूप में देखा था. इसके साथ मैं बहुत ज्यादा रोमांचित भी थी.’

यश चोपड़ा के बारे में

अपनी बात को जारी रखते हुए शर्मिला टैगोर ने आगे कहा कि, ‘दाग में काम करना मेरे लिए एक बहुत ही शानदार एक्सपीरियंस था. सच में यश के साथ काम करना बहुत ही वंडरफुल था. हालांकि मैने ‘वक्त’ में भी उनके साथ काम किया था. वह हमेशा मस्ती करते थे. एक डायरेक्टर के रूप में उन्होंने सेट पर सभी को एक्साइट किया. उनके साथ काम करने वाले किसी भी इनसान से पूछिए, अपने पंजाबी प्रेम के साथ और सामान्यता वह एक जिन्दा तार की तरह थे. जब हम ‘दाग’ के लिए काम कर रहे थे तो हमने बहुत सी खूबसूरत लोकेशन में शूटिंग की थी. एक दिन हमलोग शिमला में शूटिंग कर रहे थे और मेरी नींद खुली तो मुझे बर्फ से ढका हुआ लैडस्केप दिखाई दिया, जो बिलकुल मेरे होटल की खिड़की से एक अमेजिंग सीन था, जिसका मतलब ये था कि मुझे काम पर जाने के लिए चलना पड़ेगा क्योंकि कोई कार बर्फ के जरिए हमारे पास नहीं आ सकती थी. मुझे याद है कि मैं बालों का सही करके तैयार हो गई थी और मुश्लिकल से 5 ही कदम चली थी कि जैसे मुझे किसी चीज़ ने बहुत ज़ोर से मारा, वह एक स्नोबॉल था.’

लड़कियों के खेल का भी किया जिक्र

शर्मिला टैगोर ने आगे कहा कि, ‘मैं मना करने के लिए मुड़ी, मुझे हंसती हुई लड़कियों का एक ग्रुप मिला और जिसने मुझसे कहा ‘ये तो हमारा खेल है, हम तो खेलेंगे.’ मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं मानी (हंसते हुए), और मुझे उस शूटिंग लोकेशन तक पैदल जाना था. वो रास्ता लगातार स्नोबॉल से मार खाते हुए बहुत दूर नहीं लगा. मुझे याद है कि मैंने भी उन पर कुछ स्नोबॉल फेंके लेकिन मेरा निशाना उनके मुकाबले अच्छा नहीं था. मुझे यह लगता है कि मैंने उसका आखिर तक काफी मज़ा लिया. हालांकि मुझे लोकेशन पर पहुचकर चेंज करना पड़ा क्योंकि मैं भीग गयी थी. वैसे भी उनका गेम ‘ये तो हमारा खेल है, हम तो खेलेंगे’ खेलने का एक्सपीरियंस भी मेरे लिए बहुत जबरदस्त रहा था.’

राजेश खन्ना के बारे में

इसके बाद शर्मिला टैगोर ने राजेश खन्ना के साथ अपनी जोड़ी के बारे में बात करते हुए कहा कि, ‘मुझे लगता है कि काका ने ‘दाग’ में बहुत ही यादगार काम किया था. वह राखी के पति के रूप में अपने बाद के रोल में उस मूंछों और डैशिंग लुक के साथ काफी हैंडसम लग रहे थे.  वह पहले से ही देश के दिलों की धड़कन थे. मैं इस बात के लिए बहुत खुश हूं कि दर्शकों ने काका और मुझे एक साथ काम करते हुए काफी पसंद किया और हम एक हिट जोड़ी बन गए. हमने एक साथ कई बेहतरीन मूवीज की.’

यश चोपड़ा का असर

अपनी बात को खत्म करते हुए शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) ने कहा कि, ‘यश चोपड़ा (Yash Chopra) के सिनेमा का पॉप कल्चर पर काफी असर रहा है. यश चोपड़ा ने अपने सिनेमा के जरिए वेस्ट में इंडिया की पहचान बनाने में बहुत ही शानदार रोल निभाया है. जैसा कि नेटफ्लिक्स (Netflix) द्वारा हिट ग्लोबल डॉक्यू-सीरीज़ द रोमैंटिक्स में दिखाया गया है, जो उनकी लाइफ और करियर पर बेस है.’ इसके आगे एक्ट्रेस ने कहा कि, ‘हमारी हिंदी फिल्मों (Hindi Movies) को वेस्ट व्यूअर्स तक ले जाना और स्विट्जरलैंड को सबसे अधिक मांग वाली लोकेशन के रूप में मशहूर करना था. उनकी सरकार ने भी इस बात की तारीफ की. इस काम के लिए उन्हें तारीफ के साथ अवॉर्डा भी मिले. इसके साथ जब हम इंटरलेकन गए, तो हमने एक कैफे को देखा, जिसे बॉलीवुड (Bollywood) कैफे कहा जाता था, जिसने हमें बहुत खुश किया. हालांकि मुझे यह लगता है कि उसे यशराज (Yash Raj) कैफे कहा जाना चाहिए था क्योंकि वह उस जगह की खूबसूरती को कैप्चर करने के लिए उस इलाके में जाते रहते थे.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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