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देशभक्ति के जज्बे से भरे है ये 10 बॉलीवुड गाने

GHKKPM-Anupama Written Update: स्टार प्लस के टीवी सीरियल दर्शकों के बीच काफी ज्यादा लाइमलाइट बटोरते हैं। अनुपमा, गुम है किसी के प्यार में से लेकर ये रिश्ता क्या कहलाता है के बीच टीआरपी की लिस्ट में पहले नंबर में जाने की होड़ लगी रहती है। इन दिनों ‘अनुपमा’ में शाह हाउस में बंटवारा हो चुका है। दूसरी तरफ पाखी और अधिक के बीच भी कुछ ठीक नहीं चल रहा। वहीं, ‘गुम है किसी के प्यार में’ में सवि और ईशान के बीच तनातनी चल रही है। इन दोनों सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में भी खूब सारे बवाल होने वाले हैं। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

‘गुम है किसी के प्यार में’ क्या-क्या होगा

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में‘ (Gum Hai Kisi Ke Pyar Mein) के अपकमिंग एपिसोड में देखने के लिए मिलेगा कि सवि का एक्सीडेंट ईशान की चाची की कार से हो जाता है, जिसके बाद वह सवि को भोसले हाउस ले जाती है। यहां पर अका साहिब को सवि के बारे में पता चलता है, जिसके बाद घर में थोड़ा बहुत हंगामा भी होता है। हालांकि, अका साहिब सवि का ध्यान रखने का बोलकर चली जाती है। इसके बाद भोसले हाउस में सवि का खूब ध्यान रखना जाता है। तभी घर पर ईशान आ जाता है, लेकिन उसे सवि के बारे में पता नहीं होता। सवि एक रात के लिए भोसले हाउस में ही रुकती है, जिसके बाद घर में आधी रात हंगामे होंगे।

अधिक और पाखी के रिश्ते की खुलेगी सच्चाई

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) के अपकमिंग एपिसोड में देखने के लिए मिलेगा कि अनुपमा पाखी को बता देती है कि शाह हाउस का बंटवारा हो गया। इसके बाद डिनर के टेबल पर अनुपमा रॉमिल को फैमिली वाला फील देने के लिए प्यार से बातें करती हैं। वह उसे बातों बातों में घर का खाना भी खिला देती है, लेकिन तभी अधिक रॉमिल पर पानी फेंक देता है। इसके बाद रॉमिल और अधिक में हाथापाई हो जाती है, तब अनुज का गुस्सा फटता है। इस दौरान रॉमिल अधिक को डबल फेस कहता है और सबको बताता है कि वह पीठ पीछे अपनी वाइफ पाखी के साथ कैसा बर्ताव करता है।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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