बॉलीवुड और मनोरंजन

डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी ने LSD 2 को लेकर क्यों कहा ऐसा?

Dibakar Banerjee on LSD 2: एक बार फिर से एकता कपूर एलएसडी के बाद एलएसडी 2 से दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है. फैंस के बीच एलएसडी 2 फिल्म को लेकर काफी बज बना हुआ है. ‘एलएसडी 2’ को एकता आर कपूर और शोभा कपूर ने प्रोड्यूस किया है. फिल्म का निर्देशन दिबाकर बनर्जी ने किया है. 

‘अपशब्दों को म्यूट कर दें’

‘एलएसडी 2’ फिल्म डिजिटल वाली सोसाइटी में जिस तरह से रिलेशन बनते हैं उसी के इर्द-गिर्द घूमती है. वहीं हाल ही में फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी ने सेंसर बोर्ड के साथ टीम के व्यवहार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘सेंसर का अनुभव अच्छा रहा. उन्होंने हमसे बस इतना कहा कि इसमें अपशब्दों को म्यूट कर दें.’


दिबाकर बनर्जी ने बताया कि, इस फिल्म में हमें कुछ सीन्स को धुंधला करना पड़ा क्योंकि इसकी अनुमति नहीं थी.’ वहीं एक बार फिर एकता के साथ काम करने के बारे में दिबाकर ने कहा, ‘फिल्म करने की एनर्जी एकता से मिली. उन्होंने एक बार मुझे फोन किया था और कहा था कि ‘एलएसडी 2’ बनाते हैं, बहुत वक्त हो गया है. 

‘मुझे तो कुछ नहीं सिखाना है’

आगे उन्होंने बताया ‘हम अच्छी कहानियों का इंतजार कर रहे थे. फिर हमने एकता के साथ 3 कहानियां तय कीं, फिर चर्चा शुरू हुआ और आगे बढ़ती चली गई.’ जब दिबाकर से पूछा गया कि ऐसे समय में जहां कई फिल्में सामाजिक मैसेज देती हैं तो क्या इस फिल्म में भी कोई मैसेज है, इस पर उन्होंने कहा, ‘मुझे तो कुछ नहीं सिखाना है. मैं एक बुरा टीचर हूं.’

बता दें कि 19 अप्रैल को रिलीज होने वाली इस फिल्म में बोनिता राजपुरोहित, परितोष तिवारी, स्वरूपा घोष जैसे नए कलाकार हैं और इसमें मौनी रॉय, तुषार कपूर और उर्फी जावेद भी हैं.

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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