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एनिमल में बॉबी देओल ने अपने किरदार को बताया रोमांटिक, खुद को नहीं मानते विलेन

Bobby Deol: संदीप रेड्डी वांगा की हालिया फिल्म एनिमल ने फिल्म इंडस्ट्री में काफी हलचल मचा दी है. रणबीर कपूर, रश्मिका मंदाना, बॉबी देओल, तृप्ति डिमरी और अनिल कपूर की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर गदर मचा रही है. इसी के साथ ये फिल्म कईं रिकॉर्ड भी तोड़ रही है. 

एनिमल में बॉबी देओल ने अपने किरदार को बताया रोमांटिक

हाल ही में इस फिल्म में 15 मिनट के नेगिटव किरदार अबरार की भूमिका निभाने वाले बॉबी देओल ने खुलासा किया कि ‘उन्होंने कभी भी खुद को फिल्म के खलनायक के रूप में नहीं देखा’. बॉबी देओल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ‘उनका किरदार ‘अबरार’ एक पारिवारिक है’.

एक्टर बोले- ‘खुद को विलेन की तरह नहीं देखता’

एक इंटरव्यू में बॉबी देओल ने एनिमल में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मैंने खुद को फिल्म में खलनायक के रूप में नहीं देखा क्योंकि अबरार ने अपनी आंखों के सामने अपने दादा को खो दिया, जो खुद को जला लेता है और वह सदमा उसकी आवाज छीन लेता है. इसलिए वह कसम खाता है कि वह अपने दादा की मौत का बदला लेगा और वह एक बहुत ही पारिवारिक व्यक्ति है. वह रोमांटिक है’.

 

रेस 3 के एक्टर ने बताया कि ‘उनके किरदार की तीन पत्नियां हैं और वह अपने परिवार के लिए बहुत सावधान रहता हैं, उनके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं’. बता दें कि रणबीर कपूर की ‘एनिमल’ का क्रेज ऑडियंस के सिर चढ़कर बोल रहा है.

फिल्म एनिमल बॉक्स ऑफिस पर एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ रही है. ‘एनिमल’ को रिलीज हुए एक हफ्ता हो चुका है लेकिन इसे सिनेमाघरों में जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर राज कर रही है और धुंआधार नोट बटोर रही है. 

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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