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Elon Musk ने कंपनी और लोगो के अलावा हेडक्वार्टर के कॉन्फ्रेंस रूम का नाम भी बदला, रखा…  

Twitter new Logo: एलन मस्क ने ट्विटर का नाम बदलकर एक्स रख दिया है. साथ ही नीली चिड़िया को भी आजाद कर काले और सफेद रंग के X वर्ड को कंपनी का नया लोगो बना दिया है. बीते दिन एलन मस्क ने एक्स के हेडक्वार्टर की तस्वीर शेयर कर नए लोगो की झलक लोगों को दिखाई थी. हालांकि मस्क यहीं नहीं रुके और उन्होंने हेडक्वार्टर के अंदर मौजूद दफ्तरों के नाम भी बदल दिए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क ने हेडक्वार्टर के अंदर अलग-अलग दफ्तरों का नाम बदलकर उन में X वर्ड को शामिल कर दिया है. ट्विटर (अब X) को जब से एलन मस्क ने खरीदा था तब से लगातार प्लेटफार्म में बदलाव हो रहे थे. कल आखिरकार मस्क ने बड़ा कदम उठाते हुए कंपनी का नाम ही बदल दिया है.

बता दें, एलन मस्क को एक्स वर्ल्ड काफी अच्छा लगता है इसलिए उन्होंने अपनी कंपनियों में X वर्ड को अलग-अलग तरह से शामिल किया है. SpaceX और Xai के बाद उन्होंने ट्विटर का नाम बदलकर एक्स रखा है. हालांकि ट्विटर का नाम बदलकर X रखना इतना आसान नहीं है क्योंकि एक्स वर्ड कई दूसरी कंपनियों ने अलग-अलग तरह से पेटेंट करवाया है. ऐसे में मस्क की कंपनी को कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है.

कॉन्फ्रेंस रूम का नाम रखा ये 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एलन मस्क ने एक्स के हेडक्वार्टर जोकि सैन फ्रांसिस्को में है उसके दफ्तरों का नाम भी बदल दिया है. मस्क ने हेडक्वार्टर के कॉन्फ्रेंस रूम का नाम बदलकर उस में X वर्ड शामिल किया है. उन्होंने कॉन्फ्रेंस रूम्स का नाम “eXposure और “eXult रख दिया है होगा. एक कमरे का नाम तो मस्क ने “s3Xy” (सेक्सी) तक रख दिया है. एलन मस्क ने बीते रविवार को कंपनी का नाम बदलने का ऐलान किया था. उन्होंने एक पोस्ट में लोगों से कहा था कि यदि आज रात तक कोई अच्छा X लोगो पोस्ट होता है तो उसे वह कंपनी का नया लोगो बना देंगे, साथ ही कंपनी का नाम भी बदल देंगे. उसी दिन देर शाम मस्क को एक लोगो पसंद आ गया था जिसे उन्होंने अपनी प्रोफाइल पर पिन किया था. अगले दिन मस्क ने सबसे पहले X वर्ड ट्वीट किया. इसके बाद अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली और कुछ देर बाद कंपनी का लोगो बदल दिया. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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