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पुलिस टीम में कुत्ते तो होते हैं लेकिन बिल्लियां क्यों नहीं? मस्क के सवाल पर पुलिस ने दिया जवाब

Elon Musk: ट्विटर के पूर्व सीईओ एलन मस्क ने ट्विटर पर एक सवाल लिखा था जिसमें उनका बेटा उनसे पूछता है कि पुलिस टीम में कुत्ते तो होते हैं लेकिन बिल्लियां क्यों नहीं? इस सवाल को मस्क ने ट्वीटर पर ऐसे लिखा- Lil X just asked if there are police cats, since there are police dogs. अब इसके जवाब में दिल्ली पुलसि ने मस्क को रिस्पॉन्स दिया है और लिखा कि अपने बेटे को बताएं कि पुलिस में बिल्लियां नहीं होती क्योकि वे feline-y और ‘purr’petration के लिए बुक हो जाती हैं. यहां दिल्ली पुलिस ने इन दो शब्दों के साथ वर्ड प्ले किया है जिसका मतलब क्राइम होता है और मजकिया अंदाज में कहा कि वे क्राइम करने पर बुक यानि अंदर हो जाती हैं. हिंदी में अगर आप Felony और perpetration का मतलब देखेंगे तो इसका अर्थ अपराध होता है.

20 मिलियन से ज्यादा व्यूज 

एलन मस्क के द्वारा पूछे गए इस सवाल पर 20 मिलियन से ज्यादा व्यूज आ चुके हैं और लोग तरह-तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. दिल्ली पुलिस के द्वारा इसका जवाब दिए जाने के बाद यूजर्स दिल्ली पुलिस की भी तारीफ कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस के ट्विटर हैंडल चलाने वाले/वाली को प्रमोट करने की बात कह रहे हैं. मस्क के इस ट्वीट को 11 से ज्यादा री-ट्वीट, 1,687 से ज्यादा क्वोट री-ट्वीट,176.3K से ज्यादा लाइक्स और 753 लोगों ने बुक मार्क किया है.

ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए वाले शख्स हैं मस्क 

बता दें, एलन मस्क ट्विटर पर काफी एक्टिव रहते हैं. वे एकलौते ऐसे शख्स हैं जिन्हें ट्विटर पर सबसे ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. ट्विटर के पूर्व सीईओ को 141 मिलियन से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. हाल ही में उन्होंने ट्विटर के सीईओ पद से इस्तीफा दिया है और इसकी कमान फॉर्मर NBC यूनिवर्सल एडवरटाइजिंग चीफ लिंडा याकारिनो के हाथ में सौंपी है. मस्क कंपनी में अब प्रोडक्ट से जुड़े काम काज देखते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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