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एलन मस्क के ट्विटर पर नए फैसले पर Ex-CEO ने दिया रिएक्शन, लिखा- मैं जानता हूं…

Twitter Restriction: एलन मस्क ने ट्विटर से डेटा की चोरी को रोकने के लिए प्लेटफार्म पर नया नियम लागू किया है. अब बिना अकाउंट के यूजर्स ट्विटर की पोस्ट आदि को एक्सेस नहीं कर पाएंगे. साथ ही एक्सिस्टिंग यूजर्स के लिए भी रीड लिमिट मस्क ने सेट कर दी है. लेटेस्ट डेवलपमेंट के मुताबिक, पेड यानि ब्लू टिक यूजर्स एक दिन में 10,000 ट्वीट्स, अन वेरिफाइड यूजर्स 1,000 और न्यूली एड अन वेरिफाइड यूजर्स एक दिन में केवल 500 पोस्ट ट्विटर पर देख पाएंगे. तय लिमिट पार होने के बाद ट्विटर को यूजर्स एक्सेस नहीं कर पाएंगे.

ex-सीईओ ने दिया रिएक्शन 

एलन मस्क के इस फैसले पर ट्विटर के एक्स-सीईओ जैक डोर्सी ने अपना रिएक्शन दिया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा-  ट्विटर चलाना कठिन है, मैं नहीं चाहता कि किसी पर इसका दबाव पड़े” डोर्सी इस बात पर सहमत हुए कि नए प्रतिबंध सोशल मीडिया साइट के पक्ष में हैं और उन्होंने कहा कि दूर से फैसलों की आलोचना करना आसान है जिसके लिए मैं भी दोषी हूं… उन्होंने आगे लिखा कि मस्क का ये फैसला कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए लिया गया है जो जल्द होगा. 

एक और ट्वीट में जैक डोर्सी ने लिखा कि मुझे उम्मीद है कि मस्क बिटकॉइन और नोस्ट्र जैसे वास्तव में सेंसरशिप-प्रतिरोधी खुले प्रोटोकॉल का निर्माण करने पर विचार करेंगे. 

ट्विटर यूजर्स ने भी दिए रिएक्शन

Donnie नाम के एक ट्विटर यूजर ने जैक डोर्सी के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि- ट्विटर ही एकमात्र ऐसा प्लेटफार्म है जहां कंटेंट अच्छा है, बाकि जगह जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर सब बेकार का कंटेंट है. इस ट्वीट का रिप्लाई करते हुए जैक ने लिखा कि लोग ट्विटर को पसंद करते हैं और इसे आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं. एक और ट्वीट का रिप्लाई करते हुए जैक ने लिखा कि ट्विटर में हमेशा से कमाल का पोटेंशियल रहा है और आगे भी रहेगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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