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मंदिर में ‘आदिपुरुष’ के डायरेक्टर ने किया कृति सेनन को गुडबाय किस तो भड़के बीजेपी नेता

Adipurush: फिल्म ‘आदिपुरुष’ पिछले कई समय से चर्चाओं में है. इस फिल्म का फैंस को बेसब्री से इंतजार है. हाल ही में तिरुपति में फिल्म का ट्रेलर भी लॉन्च किया गया है. जिसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला. इन सब के बीच एक विवाद भी उत्पन्न हो गया है. दरअसल फिल्म की टीम ट्रेलर लॉन्च इवेंट के बाद दर्शन के लिए तिरुपति मंदिर पहुंची थी. ऐसे में जब दर्शन के बाद सभी एक-दूसरे को अलविदा कह रहे थे तब डायरेक्टर ओम राउत ने कृति सेनन को अलविदा कहते हुए किस कर दिया. जिस पर अब विवाद खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को देखकर यूजर्स काफी भड़के हुए हैं, वहीं बीजेपी नेता ने भी इसे लेकर विवादित बात बोल दी है.

ओम राउत ने कृति को मंदिर के प्रांगण में किया गुडबाय किस
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में डायरेक्टर ओम राउत और कृति सेनन मंदिर के प्रांगण में नजर आ रहे हैं. दर्शन के बाद जब कृति वहां से टीम को अलविदा कह रही होती हैं तभी ओम राउत उनसे गले मिलते हैं और फिर उन्हें गुडबाय किस करते हैं.  ऐसे में अब मंदिर के प्रांगण में दोनों के एक-दूसरे को गले लगाने और किस करने की बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया है और सोशल मीडिया पर वो लोग भड़ास निकाल रहे हैं जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं.

बीजेपी लीडर को नागवार गुजरी ये बात
किसी को अलविदा या गुडबाय किस करना आम बात है. खासकर फिल्म इंडस्ट्री में, लेकिन बीजेपी के स्टेट सेक्रेटरी रमेश नायडू को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आई. उन्होंने प्रभास कृति को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘क्या यह जरूरी है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर इस तरह की हरकतें की जाएं? भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर में इस तरह किस करना और गले लगाना…यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। यह एकदम अपमानजनक है.’ हालांकि उन्होंने बाद में अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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