समारोह में दलित विधायक को नहीं मिली कुर्सी, ‘तौहीन’ से तिलमिलाकर कहा मैं तो आज भी गुलाम

भिवानी: डेढ़ दर्जन असंतुष्ट विधायकों की नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मुश्किलें फिर से बढ़ती दिख रही हैं। भिवानी जिले के बवानीखेड़ा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक बिशंबर वाल्मीकि को पंद्रह अगस्त के मौके पर आयोजित समारोह में मंच पर कुर्सी नहीं मिली। मामला मान-सम्मान से जुड़ा है। ऐसे में विधायक ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। विवाद दिल्ली दरबार तक पहुंचने के आसार हैं। प्रशासन के बेलगाम होने के आरोप जड़ते हुए वाल्मीकि ने यहां तक कह दिया है कि वे तो आज भी गुलामों जैसी स्थिति में हैं। दलित विधायक के साथ हुई इस घटना के बहाने विपक्ष को बैठे-बिठाए ही बड़ा मुद्दा लग गया है। यही नहीं, विधायक ने इस्तीफा देने की धमकी देते हुए मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांग लिया है। इस पूरे घटनाक्रम में भिवानी के डीसी अंशज सिंह के खिलाफ भी मोर्चाबंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं। दरअसल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिनी हरियाणा प्रवास के बाद से भाजपा विधायकों ही नहीं नेताओं व कार्यकर्ताओं में भी अजीब-सा जोश देखने को मिल रहा है। बेशक, विधायकों व नेताओं ने शाह के सामने भी सरकार का नौकरशाही पर नियंत्रण नहीं होने के आरोप लगाए थे। लेकिन पिछले हफ्ते भर की घटनाओं से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी विधायकों व नेताओं को सख्ती से पेश आने की हिदायतें ‘ऊपर’ से ही मिली हैं।
इससे पूर्व फतेहाबाद नगर परिषद के चेयरमैन सरेआम एंबुलेंस को रोककर अपनी दबंगई का परिचय दे चुके हैं। यह बात अलग है कि एंबुलेंस से अस्पताल में ले जा रहे एक मरीज की मौत भी चेयरमैन की इस दबंगई की वजह से गई। इसी तरह से हिसार लोकसभा क्षेत्र के चेयरमैन भी एक डॉक्टर दंपति को सरेआम पीट चुके हैं। माना जा रहा है कि पार्टी विधायकों व नेताओं का यह तथाकथित ‘रौब’ आने वाले दिनों में सरकार व खट्टर की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
दलित विधायक वाल्मीकि से जुड़ा मामला यह है कि भीम स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान मंच पर उन्हें जगह नहीं मिली। इस पर बवानीखेड़ा से भाजपा विधायक बिशंबर वाल्मीकि गुस्से से तिलमिला गए। कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर वे अपनी कार में जाकर बैठ गए। तय समय पर वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने नेहरू पार्क में शहीद समारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद भीम स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर सलामी ली। अभिमन्यु जनता को संबोधित कर ही रहे थे कि इसी दौरान वाल्मीकि मंच पर बैठने की जगह नहीं मिलने से नाराज होकर चल पड़े। भाजपा नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। विधायक ने कहा कि वे अब भी गुलाम हैं। वे इस्तीफा दे देंगे, लेकिन वापस कार्यक्रम में नहीं जाएंगे। विधायक ने इस पूरे मामले के पीछे जिला प्रशासन को कसूरवार ठहराया और कहा कि ऐसे अफसरशाही नहीं चलेगी। करीब 10 मिनट तक सीआइडी इंस्पेक्टर आजाद ढांडा, सीटीएम महेश कुमार, तहसीलदार संजय बिश्नोई, भाजपा नेता ऋषि शर्मा के काफी समझाने के बाद विधायक को मनाया और स्टेज पर विधायक घनश्याम सर्राफ के पास बैठाया गया।
विधायक का कहना है कि उनकी अनदेखी हो रही है। इस बारे में डीसी अंशज सिंह ने कहा है कि भिवानी के भीम खेल परिसर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रशासन द्वारा गणमान्य नागरिकों के वास्ते बैठने के लिए मंच पर समुचित व्यवस्था की गई थी। विधायक के लिए भी मंच पर सीट निर्धारित की थी, लेकिन ध्वजारोहण के समय पार्टी के ही कार्यकर्ता उनकी सीट पर बैठ गए, जिसकी वजह से उनको असुविधा हुई। प्रशासन का उद्देश्य किसी भी तरह से विधायक की भावनाओं को ठेस पहुंचाना बिल्कुल नहीं था। यह मामला संज्ञान में आने पर प्रशासन द्वारा विधायक को उनकी सीट मुहैया करवा दी गई थी। उपायुक्त ने बताया कि मंच पर तय की गई सीटों पर प्रशासन द्वारा बाकायदा संबंधित नामों से स्लिप भी लगाई गई थी, लेकिन ध्वजारोहण के दौरान अधिकारियों का ध्यान ध्वजारोहण की तरफ पर था।