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साइबर ठगी की नई तरकीब! फेक KBC और Tata कार जीतने के नाम पर लगाया चूना

Cyber Fraud: इस आधुनिक दुनिया में सभी काम स्मार्ट तरीकों से किए जा रहे हैं. वहीं साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) के मामले भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को चूना लगा रहे हैं. ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है जिसमें ठग लोगों को फेक केबीसी और टाटा की कार जीतने के नाम पर चूना लगा रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) भी देश में काफी तेजी से बढ़ रहा है जिसमें अपराधी AI का इस्तेमाल करके लोगों को ठग रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है मामला.

ऐसे हो रही ठगी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नए मामले में विक्टिम को ठगों ने करीब 11 लाख रुपये का चूना लगाया है. विक्टिम को एक लिंक व्हाट्सऐप पर भेजा गया है. ये लिंक फेक केबीसी (KBC) खेलने के नाम पर भेजा गया था. विक्टिम ने जैसे ही लिंक पर क्लिक किया उससे कुछ सवाल पूछे गए जिसका उसने जवाब दिया. सही जवाब देने के बाद ठगों ने कहा कि बधाई हो आप एक टाटा की कार जीत चुके हैं. इसके बाद विक्टिम काफी खुश हो गया. इसके बाद अपराधियों ने बताया है कि आप कार की जगह 9 लाख रुपये कैश भी ले सकते हैं.

इसके बाद विक्टिम ने कैश का विक्लप चुना. अब विक्टिम को बताया गया कि उन्हें 1200 रुपये की रेजिस्ट्रेशन फीस भरनी होगी. इसके बाद ठगों ने उससे कुछ और पैसे मांगे. ऐसा करते-करते विक्टिम ने करीब 11 लाख रुपये ठगों को ट्रांसफर कर दिया है. इसके बाद विक्टिम को पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुका है जिसके बाद उसने पुलिस में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई.

यह है बचने का उपाय

  • साइबर ठगी के मामले काफी तेजी से बढ़ चुके हैं, ऐसे में आपको भी काफी सतर्क रहना चाहिए.
  • किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए.
  • आकर्षित करने वाले ऑफर्स से बचना चाहिए.
  • फेक केबीसी या टाटा कार जीतने वाले ऑफर्स से दूरी बनाएं.
  • अंजान व्हाट्सऐप कॉल से भी दूरी बनानी चाहिए.
  • कभी भी कॉल पर अपनी बैंक डिटेल्स या कोई भी संवेदनशील जानकारी किसी से भी साझा नहीं करनी चाहिए.
  • किसी भी थर्ड पार्टि ऐप को किसी के कहने पर डाउनलोड नहीं करना चाहिए.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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