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फिल्म रिलीज से पहले भोलेनाथ के सामने हाथ जोड़ने पर ट्रोल हुईं सारा, यूजर्स बोले –‘कुछ शर्म करो’

Sara Ali Khan Instagram Post: सारा अली खान (Sara Ali Khan) और एक्टर विक्की कौशल (Vicky Kaushal) अपनी नई फिल्म ‘जरा हटके, जरा बचके’ (Zara Hatke Zara Bachke) का जोरदार प्रमोशन कर रहे हैं. इसके लिए वो ना सिर्फ शहर-शहर घूम रहे हैं बल्कि मंदिरों में भी अपनी अर्जी लगा रहे हैं. इसी कड़ी में सारा और विक्की लखनऊ के एक शिव मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचे. इस दौरान सारा अली खान और विक्की कौशल मंदिर में भोलेनाथ के सामने हाथ जोड़कर बैठे दिखाई दिए. हालांकि सारा का मंदिर जाना कुछ लोगों पसंद नहीं आया और उन्हें सोशल मीडिया पर खासा ट्रोल किया गया.

 शिव की पूजा करने पर ट्रोल हुईं सारा
दरअसल सारा और विक्की की नई फिल्म 2 जून को रिलीज होने जा रही है. फिल्म की प्रमोशन के लिए सारा और विक्की लखनऊ में शिव मंदिर पहुंचे. जहां सारा व्हाइट टैक्सचर के सूट सलवार में काफी एलिगेंट दिख रही थीं. वहीं विक्की ब्राउन शर्ट और ब्लू पैंट में सोबर लुक में दिखे. दोनों ही एक्टर्स ने विधि-विधान से पूजा की और भोलेनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद लिया. मंदिर में दर्शन के बाद सारा अपनी तस्वीरों सोशल मीडिया पर पोस्ट की और कैप्शन में लिखा – ‘जय भोलेनाथ’. दोनों की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर पोस्ट हुईं तो सारा के मुस्लिम फैन्स को ये पसंद नहीं आया और यूजर्स ने सारा को ट्रोल करना शुरू कर दिया.


यूजर्स ने उठाए सारा की परवरिश पर सवाल

एक यूजर ने सारा पर तंज कसते हुए लिखा – ‘आपकी परवरिश ठीक नहीं हुई है शायद इसलिए ही आप मंदिर में हाथ जोड़कर बैठी हैं.’ वहीं एक दूसरे यूजर ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कमेंट किया कि. ‘आपके पिता एक मुस्लिम हैं और मंदिर में पूजा कर रही हैं. शर्म आती है काश आपकी अच्छी परवरिश हुई होती.’


2 जून को रिलीज होगी फिल्म

बता दें कि सारा और विक्की की फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ 2 जून को रिलीज होने जा रही है. इस फैमिली ड्रामा फिल्म में एक कपल की लव रिलेशन और डिवोर्स के इर्द गिर्द कहानी को बुना गया है. फिल्म में सारा सौम्या और विक्की कपिल का किरदार निभा रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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