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शाहिद कपूर ने क्रिकेट बैट लेकर बनाई फनी रील, वीडियो देख फैंस बोले- ‘विराट कोहली की बायोपिक के लिए बेस्ट चॉइस’

Shahid Kapoor Viral Reel: शाहिद कपूर इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ को लेकर सुर्खियों में हैं. उनकी फिल्म का ट्रेलर पहले ही रिलीज हो चुका था और अब फैंस को फिल्म के पर्दे पर उतरने का इंतजार है. इस बीच शाहिद कपूर और फिल्म में लीड एक्ट्रेस ने फिल्म का खूब प्रमोशन किया. अब फिल्म के प्रमोशनल इवेंट्स खत्म हो चुके हैं और इसे शाहिद कपूर ने खास अंदाज में सेलिब्रेट किया है.

शाहिद कपूर ने अपने इंस्टाग्राम पर एक रील बनाकर पोस्ट की है. शाहिद ने एक रील बनाई कि अब जब उनके पास कुछ वक्त हैं तो वह क्या-क्या खाने वाले हैं. इस रील का ओरिजिनल ऑडियो विराट कोहली का है. इस रील में शाहिद एक क्रिकेट बैट लिए जबरदस्त एक्ट करते दिखाई दे रहे हैं. इसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘प्रमोशन खत्म होने के बाद वाली फीलिंग.’


फैंस ने किया यूं रिएक्ट
‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ एक्टर की ये वायरल रील देख फैंस जमकर रिएक्ट कर रहे हैं. यहां तक फैंस उनका वीडियो देखकर उन्हें विराट कोहली की बायोपिक के लिए बेस्ट चॉइस बता रहे हैं. एक यूजर ने कमेंट किया- ‘भाईसाब इसलिए कह रहे हैं कि कोहली की बायोपिक के लिए शाहिद कपूर सचमुच बेस्ट चॉइस हैं.’ एक दूसरे यूजर ने लिखा- ‘विराट कोहली की बायोपिक करो भाई.’

‘कोहली की बायोपिक के लिए बेस्ट चॉइस’
एक और शख्स ने कमेंट किया- ‘कोहली की बायोपिक के लिए बेस्ट चॉइस.’ इसके अलावा एक यूजर ने कहा- ‘कौन जानता है ये विराट पाजी का है.’ इसके अलावा लोग शाहिद कपूर के एक्सप्रेशन और चाल की भी खूब तारीफें कर रहे हैं.

रोबोट साइंटिस्ट के रोल में नजर आएंगे शाहिद
‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ इसी 9 फरवरी को रिलीज होने वाली है. फिल्म में शाहिद कपूर एक रोबोट साइंटिस्ट के रोल में दिखाई देने वाले हैं. उनके साथ एक्ट्रेस कृति सेनन लीड रोल में नजर आएंगी जो एक एआई रोबोट का किरदार निभाएंगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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