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Open AI रिर्सचर ने AI के खतरों की दी थी चेतावनी, सैम ऑल्टमैन के निष्कासन से है इसका संबधं-सूत्र

OpenAI के से सैम ऑल्टमैन को कंपनी ने 17 नवंबर को निकाला गया था, इससे पहले कंपनी ने AI रिसर्चर ने बोर्ड मेंबर को एक पत्र लिखा था, जिसमें प्रोजेक्ट Q के बारे में डिटेल दी गई थी और बताया गया था कि, ये प्रोजेक्ट मानवता के लिए खतरा हो सकता है. इस बारे में OpenAI के दो सूत्रो ने रॉयटर्स को जानकारी दी है. सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि प्रोजेक्ट Q चैटजीपीटी से भी तेज और कुश्लता से सर्च करता है और इसमें गणित के सवालों को भी आसानी से हल किया जा सकता है. वहीं प्रोजेक्ट क्यू को ऑपरेट करने के लिए किसी व्यक्ति की भी आवश्यकता नहीं है. ऐसे में बोर्ड ने इस पत्र के आधार पर सैम ऑल्टमैन पर कई दूसरे आरोप लगा कर उन्हें Open AI से बर्खास्त कर दिया.

सैम ऑल्टमैन के समर्थन में 700 कर्मचारियों ने लिखा पत्र

सैम ऑल्टमैन को बर्खास्त किए जाने के बाद Open AI के 700 से ज्यादा कर्मचारियों ने उनकी पुन: वापिसी को लेकर बोर्ड को पत्र लिखा था, जिसमें कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सैम ऑल्टमैन की वापिसी नहीं होती है, तो वे सभी Open AI को छोड़ कर माइक्रोसॉफ्ट जाइंन कर लेंगे. रॉयर्टस के अनुसार रिसर्चर के पत्र की पुष्टि करने में असमर्थ है, क्योंकि रिसर्चर की ओर से लिखे गए लैटर की पुष्टि के लिए जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

क्या है प्रोजेक्ट Q

चैटजीपीटी ने Open AI की तरह ही प्रोजेक्ट Q शुरू किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह सुपरइंटेलिजेंस स्टार्टअप है, जिससे OpenAI AGI के तौर पर जाना जाए. आपको बता दें अगर ये सच है तो OpenAI AGI मनुष्यों से भी ज्यादा स्मार्ट होगा. एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये गणितिय समस्याओं को भी हल कर सकता है, जबकि Open AI लैंग्वेज ट्रांसलेशन और राइटिंग ही कर सकता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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