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WhatsApp के Screen Share फीचर को यूज करने से पहले जान ले ये जरुरी बात, इग्नोर करना पड़ सकता है भ

WhatsApp ScreenShare Feature: Screen Share फीचर का इस्तेमाल आपने कोविड के दौरान जरूर किया होगा क्योकि इसी के जरिए हम अपना काम और अपनी बात लोगों तक पहुंचा पाएं. स्कूल हो, दफ्तर हो या सरकारी संस्थान, सभी जगह इस फीचर का इस्तेमाल जानकारी शेयर करने के लिए किया गया. इस बीच, सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा ने अपने वॉट्सऐप में इस फीचर को जोड़ा है. आप वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयर कर सकते हैं. हालांकि इस फीचर के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े हुए हैं. इन्हीं के बारे में हम आपको बताएंगे.

भला स्क्रीन शेयर में कैसा रिस्क?

वॉट्सऐप वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयर करने में रिस्क ये है कि आपकी संवेदनशील या निजी जानकारी सामने वाले को दिख सकती है जैसे पासवर्ड, इम्पोर्टेन्ट मैसेज, दस्तावेज़ और अन्य चीज़ें. इसके अलावा जो भी चीज आप शेयर कर रहे हैं उसे सामने वाला व्यक्ति रिकॉर्ड कर सकता है. मान लीजिए आप कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज शेयर कर रहे हैं और सामने वाला व्यक्ति इसकी रिकॉर्डिंग कर लें तो वह इसका गलत फायदा उठा सकता है. 

ध्यान दें, ऐसा नहीं है कि सिर्फ वॉट्सऐप के स्क्रीन शेयर के साथ ये सब समस्या हो. इस तरह का रिस्क सभी जगह होगा जहां से आप स्क्रीन शेयर करते हैं.

बचने के लिए क्या करें?

  • हमारी सलाह ये है कि आप स्क्रीन केवल उन लोगों के साथ साझा करें जिन पर आप भरोसा करते हैं
  • ये पहले ही चेक कर लें कि जो सामग्री आप साझा करना चाहते हैं वह एक पेज में खुली हो ताकि गलती से कोई अन्य फ़ोल्डर न खुले. 
  • जब आपका काम पूरा हो जाए तो स्क्रीन-शेयरिंग तुरंत समाप्त कर दें
  • इंटरनेट पर अपनी स्क्रीन साझा करते समय सिक्योर कनेक्शन का उपयोग करें. 
  • लेटेस्ट सिक्योरिटी फिक्स और अपडेट प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम, सुरक्षा सॉफ़्टवेयर और यहां तक ​​कि वॉट्सऐप जैसे ऐप्स को भी अपडेट रखें. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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