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India AI मिशन के लिए भारत सरकार ने दी ₹10,300 करोड़ की मंजूरी

India AI Mission: भारत सरकार की कैबिनेट ने आज IndiaAI मिशन के लिए 10,300 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन को मंजूरी दे दी है, जो भारत के एआई इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. भारत सरकार का यह कदम भारत को एआई टेक्नोलॉजी की दुनिया में काफी आगे लेकर जा सकता है.

इंडियाएआई मिशन में क्या-क्या होगा?

सरकार ने अपने प्रेस रिलीज में जानकारी दी कि सरकार द्वारा इंडियाएआई मिशन के लिए किया गया यह पर्याप्त वित्तिय निवेश अगले पांच सालों में अलग-अलग कंपोनेंट्स पर काम करेगा, जिसमें इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता, इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी), इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफॉर्म, इंडियाएआई एप्लिकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, इंडियाएआई फ्यूचर स्किल्स, इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग, और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई जैसी महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं.

भारत सरकार का यह इंडिया एआई मिशन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ-साथ मल्टी-मॉडल, डोमेन-स्पेसिफिक लार्ज लैंग्वेज मॉडल के तहत ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) डेवलप करने के लिए एक रूपरेखा भी प्रदान करेगा जो जेनरेटर एआई प्लेटफार्म्स के लिए काफी जरूरी होगा.

केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कैबिनेट की मंजूरी के बाद एक ब्रीफिंग में कहा, “भारत में एआई-बेस्ड इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए एक मल्टी-फेसेटेड फ्रेमवर्क बनाया गया है.” उन्होंने आगे कहा कि, “जरूरतमंदों को इस एआई इकोसिस्टम को बनाने के लिए 10,000 से ज्यादा जीपीयू वाली सुपरकंप्यूटिंग कैपिसिटी उपलब्ध कराई जाएगी.” उन्होंने बताया कि, “इस मिशन के तहत एक राष्ट्रीय डेटा मैनेजर ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा जो डेटा की क्वालिटी में सुधार करने और उन्हें एआई डेवलपमेंट में शामिल करने के लिए अलग-अलग सरकारी विभागों और मंत्रालयों के साथ समन्वय करेगा.”

सरल भाषा में समझें तो सरकार का कहना था कि इन 10,000 करोड़ रुपये से उन प्राइवेट कंपनियों की भी मदद की जाएगी, जो एआई बेस्ड मिशन्स पर काम कर रहे हैं. सरकार के इस कदम से देश में एआई का चलन काफी तेजी से बढ़ेगा, देश में नए एआई टूल्स बनेंगे और एआई के लिए बहुत सारे नए स्टार्ट-अप्स भी शुरू होंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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