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इम्पॉटेंट इमेल्स नहीं करना चाहते मिस तो जीमेल में ऑन कर लीजिए ये सेटिंग

Gmail SafeListing: जीमेल, ‘सेफ लिस्टिंग’ नाम एक फीचर अपने यूजर्स के लिए ऑफर करता है जो उन्हें काम की मेल्स को लिस्ट कर उनकी नजर से मिस होने से बचाता है. ये फीचर यूजर्स को जीमेल में कुछ ईमेल एड्रेस और डोमेन जोड़ने की अनुमति देता है जिससे जीमेल ये सुनिश्चित करता है कि बनाए गए फ़िल्टर से सभी मेल स्पैम को बायपास करें और सीधे प्राथमिक इनबॉक्स में चले जाएं. अगर आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपकी काम की मेल स्पैम में चली गई हो और इसकी वजह से आपको परेशानी का सामना करना पड़ा हो तो आज ही इस सेटिंग को ऐप में ऑन कर लें.

स्टेप्स जानने से पहले हम आपको ‘सेफ लिस्टिंग’ से जुडी कुछ इम्पोर्टेन्ट बाते बताते हैं. सेफ लिस्टिंग को वाइट लिस्टिंग भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि आप किसी मेल आईडी या डोमेन को सुरक्षित कर रहे हैं. इससे ये स्पैम में नहीं जाएगा. ब्लैकलिस्टिंग से आप किसी भी मेल को हमेशा के लिए ब्लॉक कर सकते हैं.

सेफ लिस्टिंग में बहुत सारे एड्रेस आदि न जोड़े क्योकि इससे इसकी इफेक्टिवेनेस में असर पड़ेगा. साथ ही समय पर समय अपनी सेफ लिस्टिंग को रिव्यु करते रहे ताकि ये रेलेवेंट और इफेक्टिव बनी रहे. 

ऐसे किसी भी एड्रेस को करें ऐड

सबसे पहले जीमेल खोले और सेटिंग में आ जाएं. इसके बाद “सभी सेटिंग्स देखें” पर क्लिक करें और फ़िल्टर और ब्लॉक्ड एड्रेस के ऑप्शन को चुने. अब क्रिएट न्यू फ़िल्टर ऑप्शन को चुने और नया फ़िल्टर बनाएं. यहां पूछी गई सभी जानकारी भरें और क्रिएट फ़िल्टर पर क्लिक कर दें. अब आपको एक पॉप-अप दिखाई देगा इसमें “इसे कभी भी स्पैम पर न भेजें” लेबल को चुने और फ़िल्टर को मौजूदा वार्तालापों पर लागू करें. अगर आप मौजूदा कन्वर्सेशन पर इसे लागू नहीं करेंगे तो पुराने मेल्स सेफ लिस्टिंग में नहीं आएंगे.

इसके बाद जीमेल आपको एक कन्फर्मेशन मैसेज दिखाएगा जिसमें ये बताया गया होगा कि आपका फ़िल्टर बना चुका है. आप जब चाहें सेटिंग को बदल सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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