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एंड्रॉयड यूजर्स को बड़ा झटका! इन फोन में नहीं चलेगा Google Wallet

Google Wallet: हाल ही में भारत में गूगल वॉलेट लॉन्च किया गया है, जिसे प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. वैसे तो गूगल ने इस डिजिटल वॉलेट को एंड्रॉयड यूजर्स के लिए उपलब्ध कराया है, लेकिन कुछ एंड्रॉयड यूजर अब इसे यूज नहीं कर पाएंगे, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. कंपनी पुराने एंड्रॉयड वर्जन के लिए वॉलेट सपोर्ट समाप्त कर रही है.

9to5गूगल की रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल ने अपने सपोर्ट पेज को अपडेट किया है, जिसमें ये कहा गया है कि Google Wallet को चलाने के लिए Android 9.0 या हायर वर्जन की जरूरत होगी, जिससे सैकड़ों फोन्स में ये काम नहीं कर सकेगा. 

किन एंड्रॉयड वर्जन में नहीं चलेगा Google Wallet?

गूगल ने एंड्रॉयड 9.0 से पुराने वर्जन में सिक्योरिटी अपडेट जारी करना बंद कर दिया है, जिससे इन फोन में सिक्योरिटी अपडेट न होने के चलते हैकिंग का खतरा बढ़ जाता है. इसको लेकर गूगल ने अपने सपोर्ट पेज पर लिखा कि वॉलेट के फीचर्स को और ज्यादा सिक्योर बनाने के लिए सिक्योरिटी अपडेट होना काफी जरूरी है, लेकिन 9.0 से नीचे एंड्रॉयड वर्जन के लिए सिक्योरिटी अपडेट मौजूद नहीं है. 

गूगल पे से कितना अलग है ये ऐप

गूगल के मुताबिक, कंपनी ने बताया कि एंड्रॉयड यूजर्स गूगल वॉलेट के जरिए अपने कार्ड, मूवी टिकट, बोर्डिंग पास, की और आईडी सुरक्षित तरीके से स्टोर करके रख सकते हैं. यह गूगल पे एप से बिलकुल अलग होगा. गूगल पे (Google Pay) का इस्तेमाल पैसा और फाइनेंस का मैनेजमेंट करने के लिए किया जाता है. 

गूगल का दावा है कि वॉलेट आपके रोजमर्रा के कामों को आसान बनाने का काम करेंगे. गूगल वॉलेट ने भारत में 20 बड़े ब्रांड से समझौता किया है. इनमें पीवीआर आईनॉक्स, एयर इंडिया, इंडिगो, फ्लिपकार्ट, पाइन लैब्स, कोच्चि मेट्रो और अभीबस शामिल हैं.

यही वजह है कि गूगल वॉलेट की मदद से आपको मूवी या इवेंट को देखने, ट्रैवलिंग करने, लॉयल्टी एवं गिफ्ट कार्ड का प्रयोग करने, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने और आपके जरूरी डाक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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