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इंस्टाग्राम ने एप्पल सीईओ टिम कुक का फेक अकाउंट किया डिलीट, सीनियर वीपी भी कर रहे थे फॉलो

सोशल मीडिया पर दिग्गज हस्तियों के फेक अकाउंट की भी कमी नहीं है. इंस्टाग्राम (Instagram) ने हाल में टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple CEO Tim Cook) के फेक अकाउंट को डिलीट कर दिया है. यह फेक अकाउंट tim.d.cook नाम से चलाया जा रहा था. चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस फेक अकाउंट को खुद एप्पल कंपनी के लिसा जैक्सन (पर्यावरण, नीति और सामाजिक पहल के लिए Apple VP) और एलन डाई (मानव इंटरफ़ेस डिज़ाइन) जैसे Apple VP शामिल थे.

सिर्फ ट्विटर का इस्तेमाल कर रहे हैं कुक

खबर के मुताबिक, 9to5Mac ने इस फेक अकाउंट को पहचाना. बड़ी संख्या में इसमें फॉलोअर जुड़े थे. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, टीम कुक साल 2013 से सिर्फ ट्विटर (अब एक्स) का इस्तेमाल कर रहे हैं. एप्पल (Apple) कई प्लेटफॉर्म पर अपनी आधिकारिक सोशल मीडिया उपस्थिति बनाए रखता है. Apple के कई सीनियर अधिकारी टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़े हुए हैं. कुक एक्स पर एक्टिव हैं. 

फेक अकाउंट ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट कीं

गौर करने वाली बात यह है कि फेक टिम कुक अकाउंट (fake account of Apple CEO Tim Cook) ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट कीं. पहली पोस्ट 20 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस के लिए थी. इनमें iPhone से खींची गई दो तस्वीरें थीं. फिर 23 अगस्त को पोस्ट की गई. इसमें 30 सेकंड का विज्ञापन भी था. दोनों पोस्ट कुक के ऑफिशियल एक्स पेज से कॉपी किए गए थे. दोनों पोस्ट में iPhone 14 Pro के कैमरे और LiDAR कैपिसिटी का दावा किया गया है.

सोशल मीडिया को लेकर कुक की राय

टिम कुक (Apple CEO Tim Cook) एक्स पर एक्टिव हैं. हालांकि उन्होंने साल 2021 में कहा था कि माइंडलेस स्क्रॉलिंग मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. मुझे लगता है कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुरा है. मुझे लगता है कि यह आपके आसपास के लोगों के लिए बुरा है. दिलचस्प बात यह है कि कुक मेटा के नए लॉन्च किए गए ट्विटर कॉम्पिटीटर थ्रेड्स का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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