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नॉर्मल LED और स्मार्ट LED बल्ब में क्या है अंतर, आपके लिए कौन सा बेहतर? जानें यहां

Normal LED vs Smart LED bulb : बिजली पहले के मुकाबले काफी महंगी हो गई है, 8 रुपये यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल देते हुए लोगों की कमर टूट गई है. ऐसे में अब घर, ऑफिस और दुकान में LED बल्ब का यूज किया जाने लगा है, लेकिन क्या आपको पता है मार्केट में अब स्मार्ट LED भी उपलब्ध है और ये नॉर्मल LED बल्ब से कैसे अलग है, अगर नहीं तो इसका जवाब हम आपके लिए लेकर आए है, यहां हम आपको नॉर्मल LED और स्मार्ट LED के बीच के अंतर को बताएंगे.

जहां स्मार्ट एलईडी बल्ब तेजी से पॉपुलर हो रहे है, वहीं इन बल्ब के फीचर्स के बारे में जानने के लिए लोग पहले के मुकाबले ज्यादा उत्सुक हो रहे है. यहां हम आपको दोनों LED के बीच का अंतर बाएंगे, जिसके बाद आप अपनी जरूरत के मुताबित LED बल्ब लगवा सकेंगे. 

नॉर्मल एलईडी बल्ब

नॉर्मल एलईडी बल्ब सफेद रंग की रोशनी करते हैं, इन्हें खुद से ही ऑन-ऑफ करना होता है. वहीं इनकी रोशनी जरूरत के मुताबिक पूरी होती है. वहीं ये बल्ब अलग-अलग वाट के आते हैं, जिन्हें आप अपने हिसाब से खरीद सकते हैं.

नॉर्मल एलईडी बल्ब की कीमत 50 रुपये से शुरू हो जाती है और 200 रुपये तक जाती है. हालांकि साइज के हिसाब से भी इनकी कीमत निर्धारित की जाती है. लेकिन इन्हें खरीदना काफी किफायती रहता है. आपको बता दें कि साधारण एलईडी बल्ब आकार में छोटे होते हैं, लेकिन काफी दमदार तरीके से रोशनी करते हैं और यह आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकते हैं. पढ़ाई लिखाई के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है.

स्मार्ट एलईडी बल्ब

स्मार्ट एलईडी बल्ब कलरफुल होते हैं, इन बल्ब को ऑन-ऑफ करने की जरूरत नहीं होती. ये बल्ब अंधेरा होने पर अपने आप ऑन और ऑफ हो सकते हैं. स्मार्ट एलईडी बल्ब आपको कई आकार में मिल जाते हैं और इन्हें आप अपने पसंदीदा आकार में चुन सकते हैं. स्मार्ट एलईडी बल्ब की रोशनी साधारण एलईडी बल्ब की तुलना में कम रहती है. हालांकि स्मार्ट एलईडी बल्ब की रोशनी और रंग को बदला जा सकता है. इन की शुरुआती कीमत 300 रुपये से शुरू होती है और 1000 रुपये तक जाती है. इनका इस्तेमाल पार्टी या एंबिएंट लाइटिंग के तौर पर किया जाता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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