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WhatsApp ग्रुप Admins को मिली एक खास पावर

WhatsApp latest Update: अगर आप वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं तो आप किसी न किसी वॉट्सऐप ग्रुप में जरूर जुड़े हुए होंगे. फिर चाहे ये आपके परिवार का हो, दोस्तों का हो या स्कूल या दफ्तर से जुड़ा हुआ हो. वॉट्सऐप ग्रुप में कई लोग जुड़े होते हैं और कुछ लोग इसके एडमिन यानी ग्रुप के मालिक होते हैं. मालिक हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ग्रुप एडमिन कभी भी किसी व्यक्ति को ग्रुप से बेदखल कर सकता है. इस बीच ग्रुप एडमिन को एक और खास पावर वॉट्सऐप ने दी है.

वॉट्सऐप के डेवलपमेंट पर नजर बनाए रखने वाली वेबसाइट wabetainfo के मुताबिक, वॉट्सऐप एक नए फीचर पर काम कर रहा है जो ग्रुप एडमिन को नए पार्टिसिपेंट को अप्रूव करने की सुविधा देगा. यानी नए अपडेट के बाद यदि कोई व्यक्ति ग्रुप से जुड़ना चाहता है तो उसे पहले ग्रुप एडमिन अप्रूवल देगा और तभी वह ग्रुप में जुड़ पाएगा.  फिलहाल ये नया फीचर आईओएस पर कुछ बीटा टेस्टर्स के लिए जारी किया गया है जो आने वाले समय में धीरे-धीरे सभी के लिए लाइव कंपनी करेगी. इसके अलावा नया फीचर उन लोगों को भी दिखने लगेगा जो आईओएस पर वॉट्सऐप 23.3.77 अपडेट को ऐप स्टोर से डाउनलोड कर रहे हैं.

नए फीचर से होंगे ये फायदे

-ग्रुप एडमिन को ये खास पावर मिलने के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि इससे स्पैम मैसेज और मनचलों को ग्रुप से दूर रखा जा सकेगा. यानी हर कोई ग्रुप में नहीं जुड़ पाएगा, केवल अप्रूव किए हुए लोग ही ग्रुप का हिस्सा होंगे. इससे ग्रुप का माहौल अच्छा रहेगा.  

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-नए फीचर को ऑन करने के बाद यदि कोई ग्रुप में जुड़ना चाहेगा तो ग्रुप एडमिन को ‘पेंडिंग पार्टिसिपेशन’ की लिस्ट देखेगी जहां से वो एक-एक कर सभी को ग्रुप में जोड़ सकता है.

बता दें, अभी हाल ही में वॉट्सऐप ने टेबलेट यूजर्स के लिए नया स्प्लिट व्यू इंटरफेस जारी किया है. इस अपडेट के बाद टेबलेट यूजर्स लेफ्ट साइड में चैट लिस्ट और राइट साइड में एक चैट विंडो को खोल सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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