उत्तर प्रदेश

भाजपा ने उत्तर प्रदेश के लिए 149 प्रत्याशियों की घोषणा

लंबी प्रतीक्षा के बाद भाजपा ने उत्तर प्रदेश के लिए 149 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इनमें दंगा आरोपियों को टिकट देने के साथ दलबदलुओं को भी बड़ी संख्या में गले लगाया गया है। सूची में 24 चेहरे ऐसे हैं जो दूसरे दलों से आए हैं।
 

घोषित सीटों में ज्यादातर पहले और दूसरे चरण में होने वाले चुनाव की हैं। कुछ सीटें वो हैं  जहां इस समय भाजपा के ही विधायक हैं। भाजपा के 149 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं  हैं। पार्टी ने 11 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।

पिछड़ा कार्ड खेला: पार्टी के रणनीतिकारों ने सूची के जरिये पिछड़ा कार्ड खेला है। सूची में लगभग 60 उम्मीदवार अति पिछड़ी जातियों के हैं।

इनमें भी ज्यादातर सैनी, शाक्य, मौर्य, कुशवाहा, लोधी, गुर्जर, जाट व कश्यप बिरादरी के हैं। दलितों में पासी, वाल्मीकि और खटिक बिरादरी को तवज्जो दी गई है। अगड़ों में ठाकुरों को सबसे ज्यादा 21 टिकट दिए गए हैं।

इन्हें टिकट देकर की ध्रुवीकरण की ‌कोशिश

भाजपा ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी व मौजूदा विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा को फिर प्रत्याशी बनाया है। पिछले वर्ष सितंबर में बिजनौर से सटे पेंदा गांव में हुए दंगे के आरोपी ऐश्वर्य चौधरी उर्फ मौसम की पत्नी शुचि मौसम चौधरी को टिकट देकर पार्टी नेतृत्व ने पश्चिम में वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की है। इस मामले में ऐश्वर्य सहित 23 लोग अभी जेल में हैं।

अरिदमन की पत्नी भी लड़ेंगी
तीन दिन पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राणा अरिदमन सिंह की पत्नी रानी पक्षालिका सिंह को आगरा की बाह सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। बसपा से आए सात, कांग्रेस से आए एक व आरएलडी से पाला बदलकर आए दो विधायकों को टिकट मिला है।

कल्याण ‌के पौत्र को टिकट
राजस्‍थान के राज्यपाल और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र और पार्टी सांसद राजवीर ‌सिंह के पुत्र संदीप सिंह को अलीगढ़ की अतरौली से टिकट दिया गया है।

रमेश तोमर सुबह शामिल हुए शाम को बन गए उम्मीदवार
भाजपा की सूची से उम्मीदवारों के चयन में अमित शाह की सात स्तरीय छंटनी की कलई भी खुल गई है। दूसरे दल से सोमवार सुबह भाजपा का दामन थामने वाले रमेश तोमर को शाम को धौलाना से टिकट थमा दिया गया। हालांकि तोमर पहले भाजपा में थे। लेकिन राजनाथ सिंह से न पटने की वजह से वे दूसरे दल में चले गए थे।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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