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Instagram में आया ये नया फीचर, आपने ट्राई किया क्या? 

Instagram: इंस्टाग्राम का इस्तेमाल आप सभी जरूर करते होंगे. इस ऐप के जरिए आज कई युवा अच्छा पैसा कमा रह हैं. यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए मेटा ऐप पर कई नए फीचर्स ला रही है. हाल ही में कम्पनी ने कुछ नए फीचर इंस्टाग्राम में यूजर्स को दिए हैं. विषेशकर इन्फ्लुएंसर्स और क्रिएटर को इनसे काफी मदद मिलने वाली हैं. जानिए इनके बारे में-

ये हैं नए फीचर्स 

दरअसल, अब आप किसी रील, पोस्ट या वीडियो में GIF के जरिए भी अपना रिएक्शन दे सकते हैं. इसके लिए आपको कमेंट सेक्शन में जाकर GIF के ऑप्शन पर क्लिक करना है. दूसरा फीचर ये है कि अब फॉलोअर्स अपने फेवरेट क्रिएटर को गिफ्ट भी दे सकते हैं. इसके लिए कंपनी एक नया फीचर ऐप पर जल्द लोगों को देने वाली है. वैसे ये अन्य देशो में लाइव हो चुका है. मुंबई में हुए एक वर्कशॉप में कंपनी ने इस फीचर का प्रीव्यू दिखाया था. इसके अलावा जल्द यूजर्स को अपनी रील को एडिट करने के लिए ऐप पर एक नया ऑप्शन मिलेगा. इसकी मदद से क्रिएटर्स अपनी रील में ऑडियो, वीडियो, टेक्स्ट आदि कई चीजें एड और एडिट एक ही जगह से कर पाएंगे.

फिलहाल भारत में GIF कमेंटिंग फीचर लाइव हो गया है. अगर आपको अभी तक ये फीचर नहीं मिला है तो ऐप को एकबार अपडेट कर लें. जल्द ये दो बचे हुए फीचर्स भी लोगों को मिलेंगे. इसके अलावा कंपनी स्प्लिट रील, स्पीड और रिप्लेस रील के ऑप्शन पर भी काम कर रही है जो आने वाले समय में लोगों को मिलेंगे.   

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पेड ब्लू टिक सिस्टम भारत में उपलब्ध नहीं

ट्विटर की देखा-देखी में मेटा ने भी इंस्टा और फेसबुक के लिए पेड वेरिफिकेशन सिस्टम की शुरुआत की थी. फिलहाल पेड वेरिफिकेशन सिस्टम भारत में सभी के लिए उपलब्ध नहीं है. कुछ ही यूजर्स अभी वेटलिस्ट में रहकर इस सर्विस का फायदा उठा सकते है. FB और Insta पर ब्लू टिक पाने के लिए लोगों को वेब पर 1,099 रुपये और एंड्रॉइड और IOS पर 1,450 रुपये का भुगतान हर महीने कंपनी को करना होता है.   

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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