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सलमान खान को बिल्कुल भी पसंद नहीं है ‘सुपरस्टार’ कहलाना, वजह बताकर भाईजान ने जीत दिल

Salman Khan On Tiger 3: बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान इन दिनों ‘टाइगर 3’ की सक्सेस एंजॉय कर रहे हैं. दिवाली के मौके पर रिलीज हुई टाइगर 3 बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है. फिल्म की सफलता से पूरी टीम बेहद खुश है.

सलमान खान को बिल्कुल भी पसंद नहीं है ‘सुपरस्टार’ कहलाना
वहीं अब फिल्म की सक्सेस के बाद पहली बार सलमान खान ने अपनी फिल्म पर चर्चा की है. जी हां, हाल ही में सलमान खान ने पिंकविला से बातचीत की है. इस दौरान सुपरस्टार ने फिल्म की सक्सेस को लेकर कई सारी बातें कही हैं. सलमान खान ने बताया कि उन्हें सुपस्टार कहलाना बिल्कुल पसंद नहीं है. 


वजह बताकर भाईजान ने जीत लिया फैंस का दिल
सलमान खान कहते हैं कि ‘मुझे नहीं पंसद कोई मुझे सुपरस्टार या मेगास्टार कह कर बुलाए. मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं बस यहां अपना काम कर रहा हूं और लोग उसे पसंद कर रहे हैं. मेरे लिए बस इतना ही काफी है. मैं सुपरस्टार के टैग के लायक नहीं हूं. मैंने अपने दम पर ऐसा कोई महान काम नहीं किया है. मेरा नाम सलमान खान है. कोई मुझे सल्लू बुलाता है तो कोई भाई कहता है. मैं इस सब नाम में ही खुश हूं. लेकिन  मुझे सुपरस्टार और मेगास्टार जैसे नाम बहुत बचकाना लगता है.’

मीडिया से की रिक्वेस्ट
भाईजान आगे कहते हैं कि मैं ‘आप लोगों से भी रिक्वेस्ट करना चाहूंगा कि मुझे इस नाम से ना बुलाया करें. मैं खुद इसपर भरोसा नहीं करता हूं कि मैं एक सुपरस्टार हूं. जब आपको कोई ऐसे नाम से बुलाए तो काफी प्रेशर आ जाता है. मैं बस अपना बेस्ट देने की कोशिश करता हूं और मुझे लगता है मैं इसमें सफल भी रहा हूं क्योंकि मेरी फिल्में अपना बजट निकाल लेती हैं.’

 वहीं फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बात करें तो घरेलू बॉक्स ऑफिस पर ‘टाइगर 3’ ने 259 करोड़ और वर्ल्डवाइड 400 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा लिए हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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