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सफेद धोती- कुर्ता पहन लिन लैशराम के दूल्हे बने रणदीप हुड्डा, सामने आया शादी का पहला वीडियो

Randeep Hooda Wedding Video: बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) आज यानि 29 नवंबर को अपनी गर्लफ्रेंड लिन लैशराम के साथ शादी के बंधन में बंध चुके हैं. दोनों की शादी इम्फाल में मणिपुरी रीति-रिवाजों से हुई है. जिसके कुछ वीडियो अब सोशल मीडिया पर सामने आए है. वीडियो में एक्टर सफेद कुर्ते के साथ धोती पहने हुए नजर आ रहे हैं. वहीं उनकी दुल्हन मणिपुरी ब्राइड बने बहुत सुंदर लग रही हैं.  

शादी में सफेद कुर्ता-धोती पहने दिखे रणदीप

रणदीप हुड्डा और लिन लैशराम की शादी के ये वीडियो ANI ने अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किए हैं. पहले वीडियो में सफेद धोती-कुर्ता पहने हुए रणदीप हुडडा मंडप की तरफ जाते हुए नजर आ रहे हैं. एक्टर ने अपना लुक सिर पर मैचिंग पगड़ी पहनकर पूरा किया है. रणदीप का ये वीडियो अब तेजी से इंटरनेट पर वायरल हो रहा है.


मणिपुरी दुल्हन बनीं बेहद खूबसूरत दिखीं लिन

वहीं इसके बाद दोनों की शादी का एक और वीडियो सामने आया है. जिसमें रणदीप और लिन मणिपुरी रीति-रिवाजों से शादी की रस्में अदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में दोनों शादी के मंडप में बैठे हैं और लिन के परिवार के लोग दोनों को शगुन दे रहे हैं. इस वीडियो में रणदीप के चेहरे पर शादी की एक्साइटमेंट साफ नजर आ रही है.  

रणदीप ने सोशल मीडिया पर दी थी शादी की जानकारी

बीते दिन ये कपल मणिपुर के एक मंदिर में पूजा के लिए पहुंचा था. जहां दोनों ट्रेडिशनल लुक में नजर आए थे. बता दें कि रणदीप और लिन पिछले काफी वक्त से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं. दोनो की जोड़ी फैंस को भी काफी ज्यादा पसंद है. कुछ दिन पहले ही रणदीप ने लिन संग अपनी शादी की घोषणा सोशल मीडिया पर की थी. जिसके बाद उनके फैंस एक्टर को दूल्हा बने देखने के लिए काफी एक्साइटिड नजर आए थे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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