15 लाख तक के ठेकों में SC/ST को 50 फीसदी आरक्षण, नीतीश कुमार के फैसले पर पटना हाई कोर्ट की मुहर

पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार के उस फैसले पर मुहर लगाई है जिसमें बिहार सरकार ने सभी सरकारी ठेकों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को 50 फीसदा आरक्षण देने का निर्णय लिया था। कोर्ट ने उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकरा का निर्णय सही है। सपना सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे 11 मई को सुनाया गया।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार इस बात को सुनिश्चित करेगी कि योजना का वास्तवकि लाभ उसके वाजिब हकदारों को ही मिले। कोर्ट ने वैसे लोगों को इस योजना का लाभ उठाने से दूर रखा है जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है। बता दें कि बिहार विधान सभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने जुलाई 2015 में दलित कार्ड खेलते हुए सभी सरकारी ठेकों में एससी और एसटी समुदाय के लोगों को 15 लाख रुपये तक के ठेकों में 50 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था। इस फैसले को सपना सिंह ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार से पहले जब जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 1 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षण को मंजूरी दी थी लेकिन सियासी उठापटक के बाद जीतनराम मांझी को सीएम पद से हटना पड़ा और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने। नीतीश ने जीतनराम मांझी के प्रस्ताव को पलटते हुए 15 लाख तक के ठेकों में 50 फीसदी आरक्षण पर कैबिनेट से मुहर लगवा दी। इस तरह बिहार देश का पहला राज्य है जहां सरकारी ठेकों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है।