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कंगना रनौत ने ‘जवान’ की तारीफ में पढ़ दिए कसीदे! शाहरुख खान को बताया- ‘गॉड ऑफ सिनेमा’

Kangana Ranaut Praised Jawan: बॉलीवुड की क्वीन एक्ट्रेस कंगना रनौत को अक्सर दूसरे स्टार्स पर हमला बोलते देखा जाता है. ऐसा बहुत कम होता है जब वे किसी स्टार या उनकी फिल्म की तारीफ करती हों. लेकिन शाहरुख खान की ‘जवान’ रिलीज होने के मौके पर एक्ट्रेस ने फिल्म की जमकर तारीफें की हैं. यहां तक कि कंगना ने शाहरुख खान को गॉड ऑफ सिनेमा करार दे दिया है.

शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और कंगना रनौत ने ‘जवान’ की रिलीज के पहले दिन अपनी इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट की है और ‘जवान’ के लिए पर शाहरुख खान के साथ-साथ फिल्म की पूरी टीम को बधाई दी है. एक्ट्रेस ने ‘जवान’ का पोस्टर शेयर करते हुए लंबा सा नोट लिखा है.

शाहरुख खान की तारीफ में कही ये बातें
कंगना ने लिखा, ‘नब्बे के दशक का परम प्रेमी लड़का होने से लेकर एक दशक तक फिर से नई खोज करने के लिए लंबे संघर्ष तक चालीस से लेकर पचास के दशक के अंत तक अपने दर्शकों के साथ उनका जुड़ाव और लगभग 60 वर्ष की उम्र में रियल लाइफ में एक बेस्ट ग्रेट इंडियन एक्टर के तौर पर उभरना किसी महानायक से कम नहीं है.

शाहरुख के स्ट्रगल को बताया ‘मास्टर क्लास’
चंद्रमुखी एक्ट्रेस ने आगे लिखा- ‘मुझे याद है, वह वक्त था जब लोगों ने उन्हें नजर अंदाज कर दिया था और उनकी पसंद का मजाक उड़ाया था, लेकिन उनका संघर्ष लंबे करियर का आनंद ले रहे सभी कलाकारों के लिए एक मास्टर क्लास है, लेकिन उन्हें फिर से खोज और दोबारा इस्टैब्लिश करना होगा.’

कंगना ने किंग खान को बताया- सिनेमा का भगवान
कंगना यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने आगे लिखा, ‘शाहरुख खान सिनेमा के भगवान हैं जिनकी फिल्म को न सिर्फ उनके गले लगाने या डिंपल्स के लिए बल्कि कुछ दुनिया को बचाने के लिए भी जरूरत है. आपके लगाव, कड़ी मेहनत और पोलाइटनेस को नमन किंग खान.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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