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अमीषा पटेल को फिल्में ऑफर करने से इसलिए डरते थे बड़े-बड़े प्रोड्यूसर, सालों बाद ‘गदर 2’ एक्ट्रे

Ameesha Patel Revealed About Not Getting Films: अमीषा पटेल अपनी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म गदर 2 को लेकर सुर्खियों में हैं. उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हिट हुई है. इससे पहले अमीषा का फिल्मों में कोई खास जादू नहीं देखने को मिला और न ही वे ज्यादा फिल्मों में नजर आईं. इस बारे में अब एक्ट्रेस ने खुलासा किया है कि ज्यादातर प्रोड्यूसर्स उन्हें फिल्मों के लिए ऑफर करने से डरते थे. 

गदर 2 एक्ट्रेस ने खुलासा किया कि वे अपने मैनेजर के चलते कई बड़े फिल्म मेकर्स की फिल्में नहीं कर सकीं. सिद्धार्थ कानन को दिए एक इंटरव्यू में अमीषा पटेल ने अपने करियर के सबसे बड़े पछतावे के बारे में बात की. एक्ट्रेस ने कहा कि एक बार वे वे संजय लीला भंसाली की एक फिल्म करने से चूक गई थीं. इसकी वजह उनके मैनेजर थे.

‘मैनेजर के चलते फिल्म से चूकीं’
अमीषा बताती हैं कि उनके मैनेजर और संजय लीला भंसाली की अलग-अलग राय थी, उन्होंने कहा, ‘एक बहुत अच्छे प्रोजेक्ट के लिए बातचीत चल रही थी. लेकिन मैं इसका नाम नहीं बताना चाहती क्योंकि फिल्म बन चुकी है. उस समय मेरे मैनेजर और मिस्टर भंसाली की आपस में नहीं बन रही थी. जब मैं उस मैनेजर से अलग हो गई. तो भंसाली ने मुझसे कहा कि कई ऐसे पल थे जब हमें एक साथ काम करना थे. लेकिन मेरे मैनेजर की वजह से उन्होंने ऐसा नहीं किया.’

मैनेजर की वजह से डरते थे फिल्म मेकर्स
अमीषा ने बताया कि बाद में उन्हें पता चला कि संजय लीला भंसाली के अलावा यशराज फिल्म्स और साजिद नाडियाडवाला जैसे कई दूसरे बड़े मेकर्स भी उन्हें फिल्म ऑफर करना चाहते थे लेकिन वे उनके मैनेजर की वजह से उनके पास आने से डरते थे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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