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Jio vs Airtel Xstream AirFibre: दोनों में कौन दे रहा बेहतर स्पीड? जानिए किसे लगाना ज्यादा फायदे

Jio vs Airtel Xstream AirFibre: घर में इंटरनेट चलाने के लिए अब तारों से मिलने वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी. अब आप एक ‘प्लग एंड प्ले डिवाइस’ से भी इंटरनेट बिना तारो के चला पाएंगे. दरअसल, बाजार में एयर फाइबर डिवाइस आ चुके हैं, जिन्हें आप घर के किसी भी जगह रखकर अपने सभी डिवाइसेस में इंटरनेट चला  सकते हैं. एयर फाइबर डिवाइस के लिए कोई भी बाहरी तार घर में नहीं आती है और इनके टूट-फूट की भी परेशानी खत्म हो जाती है. आज इस लेख में हम आपको ये बताएंगे कि आपके लिए जियो का एयर फाइबर या एयरटेल में से कौन सा अच्छा है.

क्या है बेस्ट?

रिलायंस जियो की अभी हाल ही में AGM मीटिंग हुई है. इस मीटिंग में कंपनी ने जियो एयर फाइबर की लॉन्च डेट अनाउंस की थी. जियो का ये डिवाइस 18 सितंबर से बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. कंपनी ने कहा कि ये डिवाइस कंपटीटर की तुलना में 20% सस्ता होगा. फिलहाल जियो एयर फाइबर के प्लान कंपनी ने साझा नहीं किए हैं. हालांकि एयरटेल के प्लान लॉन्च हो चुके हैं. इस आधार पर आप अपने लिए बेस्ट चुन सकते हैं.

Airtel Xstream AirFibre के 6 महीने के प्लान की कीमत 7,733 रुपये है. इसमें 2500 रुपये डिवाइस सिक्योरिटी है जो रिफंडेबल है. इस प्लान के साथ आपको 6 महीने के लिए 100Mbps की स्पीड मिलती है. इसमें आपको WiFi 6 टेक्नोलॉजी मिलती है जो फास्ट इंटरनेट और डाउनलोडिंग स्पीड प्रदान करती है. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, जियो अपने डिवाइस को 6,000 रुपये के आस-पास लॉन्च कर सकता है. साथ ही प्लान भी एयरटेल की तुलना में सस्ते होने की बात कही जा रही है. 

जियो का कहना है कि उसका डिवाइस एयरटेल के NSA (नॉन-स्टैंडअलोन) टेक्नोलॉजी से अच्छा है क्योकि कंपनी SA (स्टैंडअलोन) 5G नेटवर्क का उपयोग करती है जो बेहतर कनेक्टिविटी और परफॉर्मेंस ऑफर करता है. जियो ने 1Gbps तक के इंटरनेट स्पीड की बात कही है. हालांकि अभी प्लान लॉन्च नहीं हुए है. इस विषय में ज्यादा जानकारी 18 सितंबर को सामने आएगी. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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