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‘ऑस्कर के लिए भेजी जा रही हैं गलत फिल्में’, एआर रहमान ने क्यों दिया इतना बड़ा बयान?

AR Rahman On Oscars: ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी 2023 में भारत की फिल्मों ने जमकर जलवा बिखेरा. आरआरआर के गाने ‘नाटू-नाटू’ और ‘द एलिफेंट व्हिसपरर्स’ ने ऑस्कर अवॉर्ड का खिताब जीतकर देश का नाम पूरी दुनिया में एक बार फिर रोशन कर दिया. इस बीच दो ऑस्कर अवॉर्ड जीत चुके एआर रहमान का एक इंटरव्यू सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ऑस्कर के लिए भारत से गलत फिल्म भेजी जा रही हैं.

टेक्नोलॉजी के विकास ने किया बदलाव

इंटरव्यू के दौरान एल सुब्रमण्यम ने एआर रहमान से पूछा कि उन्होंने बहुत सारे म्यूजिशियंस और ऑर्केस्ट्रा के साथ म्यूजिक कंपोज करने के पुराने तरीके को कैसे बदला, तो रहमान ने कहा, ”यह टेक्नोलॉजी में विकास के कारण हो पाया है. पहले एक फिल्म के लिए केवल आठ ट्रैक थे, क्योंकि मैं एक जिंगल बैकग्राउंड से आया था, तो  मेरे पास 16 ट्रैक थे और मैं इसके साथ बहुत कुछ कर सकता था.”

मुझे एक्सपेरिमेंट करने का मौका मिला

एआर रहमान ने आगे कहा, ”आर्केस्ट्रा महंगा था, लेकिन सभी बड़े इंस्ट्रूमेट्स छोटे हो गए. इसने मुझे एक्सपेरिमेंट करने और असफल होने के लिए काफी समय दिया. मेरी असफलता कोई नहीं जानता, उन्होंने केवल मेरी सफलता देखी है क्योंकि यह सब स्टूडियो के अंदर हुआ है. तो मुझे होम स्टूडियों के कारण आजादी मिली.”

उन्होंने कहा, ”इससे मुझे काफी प्रयोग करने की आजादी मिली…बेशक, हम सभी को पैसे की जरूरत है लेकिन उससे आगे मेरे पास जुनून था. मेरा मतलब है कि पश्चिम यह कर रहा है तो हम क्यों नहीं कर सकते? जब हम उनका म्यूजिक सुनते हैं, तो वे हमारा म्यूजिक क्यों नहीं सुन सकते? मैं खुद से पूछता हूं कि कैसे बेहतर प्रोडक्शन, बेहतर गुणवत्ता, बेहतर डिस्ट्रीब्यूशन और मास्टरिंग हो सकता है.. जो अभी भी मुझे प्रेरित करता है”. 

ऑस्कर में भेजी जा रहीं गलत फिल्में

एआर रहमान ने कहा कि, कभी-कभी मैं देखता हूं कि हमारी फिल्में ऑस्कर तक जाती है, लेकिन अवॉर्ड नहीं मिलते. ऑस्कर के लिए गलत फिल्में भेजी जा रही हैं. मुझे लगता है कि ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए. हमें दूसरे व्यक्ति के नजरिये से सोचना होगा.  यहां क्या हो रहा है यह देखने के लिए मुझे पश्चिमी देश की तरह सोचना होता है. हमें अपनी जगह रहकर अपने तरीके से ही सोचना चाहिए. बता दें कि ये पुराना इंटरव्यू है जिसे जनवरी में शूट किया गया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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