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Anupama: बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार को देखकर खौला रुपाली गांगुली का खून, जमाने के सामने कही ये बात | Bollywood Life हिंदी

Rupali Ganguly react on persecution of Hindus in Bangladesh: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश की सरपरस्त शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है। ऐसे में आर्मी ने बांग्लादेश की सत्ता अपने हाथ में ले ली है। वहीं बांग्लादेश की जनता जमकर अपनी मनमानी कर रही है। बांग्लादेश की सड़कों पर जमकर हंगामा मचाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सत्ता पलटते ही लोगों ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर हमला करना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश क लेकर तरह तरह की खबरें आ रही है। इन खबरों ने इंडिया के लोगों को भी सकते में डाल दिया है। इसी बीच सीरियल अनुपमा स्टार रुपाली गांगुली ने बांग्लादेश के हाल पर कमेंट कर दिया है। Also Read – Anupama: साड़ी पहनकर कमर मटकाती दिखी अनुपमा की बहूरानी, कैमरे के आगे ओढ़ी लाज की चादर

सोशल मीडिया के जरिए रुपाली गांगुली ने बांग्लादेश के हालात पर अफसोस जाहिर किया है। इतना ही नहीं रुपाली गांगुली इस दौरान अपने अतीत को याद करते हुए इमोशनल भी हो गईं। बांग्लादेश में छिड़ी हिंसा के बारे में बात करते हुए रुपाली गांगुली ने लिखा, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कहानियां मेरे रोंगटे खड़े कर रही हैं। मेरे पिता की जड़े बांग्लादेश से होकर ही गुजरती हैं। बांग्लादेश में जो माइनॉरिटीज के साथ हो रहा है उसे देखकर मुझे डर लग रहा है। मुझे लगता है कि अब वो समय आ चुका है कि पूरी दुनिया को इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। हमें हर हाल में बांग्लादेश के माइनॉरिटीज की मदद करनी ही होगी।

गौरतलब है कि रुपाली गांगुली भी बंगाली हैं। ऐसे में रुपाली गांगुली का नाता बंगाल से होना कोई बड़ी बात नहीं है। एक जमाने में बांग्लादेश इंडिया का ही हिस्सा था। यही वजह है जो बहुत से लोग आज भी बांग्लादेश से जुड़ाव महसूस करते हैं। इस लिस्ट में एक नाम रुपाली गांगुली का भी है। हाल ही में रुपाली गांगुली ने एक पोस्ट और शेयर की थी जिसमें वो अपने सेट के कुत्ते के साथ पोज देती दिखी थीं। टीवी की ऐसी ही खबरें जानने के लिए पढ़ते रहिए बॉलीवुड लाइफ…। Also Read – Anupama: एक बार फिर अपने आशिक का फायदा उठाएगी अनुपमा, अनुज का होगा बंटा धार

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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