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Gmail में आया मल्टी लैँग्वेज फीचर, अब अपनी भाषा में ट्रांसलेट कर सकेंगे ईमेल

 Gmail Feature : Gmail के जरिए आप रोजाना सैकड़ों ईमेल भेजते और पाते होंगे. ये ईमेल कई बार अंग्रेजी, हिंदी या किसी दूसरी भाषा में होते हैं. अगर ये हिंदी या अंग्रेजी में होते हैं, तो आपको इनको पढ़ने में कोई खासी दिक्कत नहीं होती होगी, लेकिन जब ईमेल किसी हिंदी या अंग्रेजी के अलावा किसी तीसरी भाषा में होता है, तो आपको काफी परेशान होना पड़ता होगा, लेकिन यहां हम आपकी इस परेशानी साल्यूशन लेकर आए हैं.

यहां हम आपको जीमेल के एंड्रॉयड और iOS मोबाइल पर यूज होने वाले एक ऐसे फीचर के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप एक्टिव करके किसी भी भाषा के ईमेल को 100 से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद करके पढ़ सकते हैं और इसमें आपको कुछ सेकेंड का समय लगेगा. आइए जानते हैं जीमेल के इस फीचर के बारे में. 

मल्टी लैग्वेज ट्रांसलेट फीचर

गूगल ने डेस्कटॉप वर्जन के लिए इस फीचर को बहुत पहले की रोल आउट कर दिया था, लेकिन कब जीमेल ने इसे एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के लिए रोल आउट कर दिया है, जिसमें आप किसी भी भाषा के मेल को 100 से ज्यादा लैंग्वेज में ट्रांसलेट कर सकते हैं.

Gmail ऐप में ईमेल का ट्रांसलेशन कैसे करें 

Gmail ऐप को ओपन करें. इसके बाद उस ईमेल पर जाएं जिसे ट्रांसलेट करना चाहते हैं.
ईमेल के ऊपरी राइट साइड में दिए गए तीन डॉट्स पर टैप करें.
फिर ट्रांसलेट पर टैप कर दें.
अब वह लैंग्वेज चुनें जिसमें आप ईमेल को ट्रांसलेट करना चाहते हैं.
ईमेल को नई लैंग्वेज में ट्रांसलेट करें. इसके बाद वो मेल आपको आपकी भाषा में दिखाया जाएगा.

नए Gmail ट्रांसलेशन फीचर का इस्तेमाल कैसे करें

ट्रांसलेशन फीचर अभी बीटा फेज में है. इसका मतलब यह है कि इसमें अभी और डेवलपमेंट की गुंजाइश है.
ध्यान रखें कि यह ट्रांसलेशन पूरी तरह सटीक नहीं हो सकता है. खासतौर से कानूनी और टेक्निकल दस्तावेजों के लिए यह पूरी तरह से सटीक नहीं बैठता है.
यह फीचर आपको एक समय में केवल एक ईमेल ट्रांसलेशन करने की अनुमित देता है. ऐसे में अगर आपके पास दूसरी लैंग्वेज में कई ईमेल हैं तो आप उसे अलग-अलग ट्रांसलेट करना होगा.
सटीक ट्रांसलेशन के लिए और फीचर का सही इस्तेमाल करने के लिए अभी कुछ समय लग सकता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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