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AI टूल को हिंदी सिखाएं और दिन की मिलेगी 16,000 सैलरी, इस कंपनी में चल रही हायरिंग  

ChatGPT: पिछले साल से लगातार ओपन एआई का ‘चैट जीपीटी’ सुर्खियों में बना हुआ है. चैट जीपीटी के बाजर में आने के बाद कई अन्य टेक कंपनियों, नए स्टार्टअप्स आदि से अपने AI टूल पर काम करना शुरू किया क्योकि बाजर में AI टूल खूब लोकप्रिय हो रहे हैं. चैट जीपीटी आज कई प्रोडक्ट और सर्विसेस में इंटिग्रेटे चुका है. लेकिन AI टूल जैसे कि चैट जीपीटी और अन्य के साथ एक प्रॉब्लम ये है की ये टूल इंग्लिश के अलावा अन्य दूसरी भाषाओ में जूझते नजर आते हैं.

अगर आप चैट जीपीटी को हिंदी में भारत के कल्चर पर निबंध लिखने के लिए कहेंगे तो ये निबंध लिख तो जरूर देगा लेकिन हिंदी मात्राओं आदि की गलतियां इसमें खूब होंगी क्योकि ये AI टूल हिंदी के लिए सही से प्रसिक्षित नहीं है. खैर खबर आपके लिए ये है कि अगर आप एक ऐसे व्यक्ति है जिसे हिंदी भाषा का सही ज्ञान, शब्दों पर अच्छी पकड़ और लिखने का लंबा अनुभव है तो आप दिन के 16 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.

काम क्या है?

दरअसल, चैट जीपीटी की तरह ही एक डेटा लेबलिंग कंपनी, Scale AI है जो अपने AI टूल को हिंदी भाषा समेत दूसरे लैंग्वेज पर अच्छे से प्रसिक्षित करना चाहती है. आपको करना ये है कि AI टूल को हिंदी को समझने और सवालों का सही से जवाब देने के लिए इसमें हिंदी डेटा को फीड करना है. साथ ही AI टूल की गलतियों को समझकर इसे सही डेटा के लिए ट्रेन करना है. हिंदी भाषा के अलावा, Scale AI जर्मन, स्पेनिश, मंदारिन, वियतनामी, पर्शियन और स्वीडिश भाषा जानने वाले लोगों को हायर कर रही है. अन्य जानकारी के लिए आप वेब पर कंपनी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.

AI टूल को ट्रेन करने के लिए Scale AI लोगों को 25 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से पे कर रही है. यानि आपको हर घंटे का 2 हजार रुपये मिलेगा और अगर आप दिन भर में 8 घंटे काम करते हैं तो आपको आराम से 16 हजार रुपये मिल जाएंगे.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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