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Year Ender 2023: साल के सबसे खतरनाक पासवर्ड, जिन्हें क्रैक करने में नहीं लगा जरा भी टाइम

Year Ender 2023:   साल 2023 का आखिरी महीना चल रहा है, इस महीने में साल भर की गतिविधियों की अलग-अलग जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाती है. इसीलिए हम आपके लिए इस साल के सबसे खतरनाक पासवर्ड की जानकारी लेकर आए है, जिन्हें क्रैक करने में बिलकुल भी समय नहीं लगा. ये पासवर्ड संख्या और अल्फाबेट से बनाएं गए हैं. इन पासवर्ड में कोई स्पेशल करेक्टर नहीं रखा गया और ये बहुत ही समान्य है, जिस वजह से इन्हें क्रैक करना बहुत आसान है.

देश के नाम पर रखते हैं यूजर्स पासवर्ड

इंटरनेट यूजर्स अपने देश के नाम पर भी पासवर्ड रखते हैं, जैसे आप भारतीय है तो आपका पासवर्ड India@123 होगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तरीके के पासवर्ड रखने वालों की संख्या भी भारत सहित दुनिया में बहुत ज्यादा है. रिपोर्ट में पाया गया कि ‘एडमिन’ शब्द, जो संभवतः उन पासवर्डों में से एक है, जिन्हें लोग बदलने से नहीं घबराते, इस साल भारत और कई अन्य देशों में सबसे आम पासवर्डों में से एक बन गया है

‘पासवर्ड’ था पिछली साल टॉप पर

इस साल सबसे ज्यादा लोगों ने ‘पासवर्ड’ को अपना पासवर्ड बनाया है. भारत में यूजर्स Pass@123 या Password@123 का यूज सबसे ज्यादा किया. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों के लिए उपयोग किए जाने वाले पासवर्ड के बारे में पता लगाने के लिए, शोधकर्ताओं ने विभिन्न चोरी करने वाले मैलवेयर द्वारा उजागर किए गए पासवर्ड के 6.6 टीबी डेटाबेस का विश्लेषण किया, जिसे विशेषज्ञ लोगों की साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं. सबसे डरावनी बात यह है कि पीड़ितों को यह एहसास भी नहीं हो सकता है कि उनका कंप्यूटर संक्रमित है. 

दुनिया के लगभग एक तिहाई (31 प्रतिशत) सबसे लोकप्रिय पासवर्ड पूरी तरह से संख्यात्मक अनुक्रमों से बने होते हैं, जैसे ‘123456789’, ‘12345’, ‘000000’ और अन्य. रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की वैश्विक सूची में 70 फीसदी पासवर्ड एक सेकंड से भी कम समय में क्रैक किए जा सकते हैं. शोधकर्ताओं ने बेहतर सुरक्षा के लिए प्रमाणीकरण के एक नए रूप के रूप में पासकीज़ का सुझाव दिया. स्मालाकिस ने कहा, यह तकनीक खराब पासवर्ड को खत्म करने में मदद करेगी, इससे उपयोगकर्ता अधिक सुरक्षित हो जाएंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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