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रिलीज से पहले विवाद में आई ‘अजमेर 92’, जानें क्या है पूरा मामला

Ajmer 92: बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा शर्मा की फिल्म द केरल स्टोरी हाल ही में रिलीज हुई थी। इस मूवी को लोगों ने दिल खोलकर प्यार दिया है। बॉक्स ऑफिस पर भी द केरल स्टोरी ने धमाल मचा दिया है। वहीं अदा शर्मा की फिल्म का विरोध भी लोग जमकर कर रहे हैं। बॉलीवुड के कई सितारे इस मूवी को प्रोपेगेंडा बताया है। इस बीच अपकमिंग फिल्म अजमेर-92 को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि कुछ लोग इस मूवी को बैन करने की मांग कर रहे हैं। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं अमेजर 92 विवादों में क्यों आ गई है।

अजमेर-92 को बैन करने की उठी मांग

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पुष्पेंद्र सिंह के डायरेक्शन में बनी और जरीना वहाब, सयाजी शिंदे, मनोज जोशी और राजेश शर्मा स्टारर अजमेर 92 को रियल बेस्ड स्टोरी है। यह मूवी 30 साल पहले अजमेर में टीनएज लड़कियों पर हुए आपराधिक हमले पर बेस्ड है। इस मूवी को कुछ लोग अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बता रहे हैं। इस बीच जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने फिल्म का विरोध किया है। महमूद मदनी ने कहा, अजमेर शरीफ की दरगाह को बदनाम करने के लिए बनी फिल्म को बैन कर देना चाहिए। ऐसे मामलों को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए बल्कि इन आपराधिक घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस मूवी से काफी विवाद हो गया जिससे समाज में दरार पैदा होगी। इसके अलावा भी महमूद मदनी ने कई और बातें कहीं है।

इस दिन रिलीज होगी पुष्पेंद्र सिंह की अजमेर-92

बताते चलें कि पुष्पेंद्र सिंह की फिल्म ‘अजमेर 92’ 14 जुलाई को रिलीज होने वाली है। लोग इस मूवी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मालूम हो कि इससे पहले भी कई ऐसी फिल्में साममे आई हैं जिसको लेकर विवाद हो चुका है। इस लिस्ट में द केरल स्टोरी सबसे टॉप पर है।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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