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बॉक्स ऑफिस पर 9वें दिन ‘जरा हटके जरा बचके’ की कमाई में आया उछाल, 50 करोड़ से कितनी दूर है फिल्म

Zara Hatke Zara Bachke Box Office Collection Day 9: लक्ष्मण उटेकर के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ बॉक्स ऑफिस पर जमी हुई है. फिल्म को पहले दिन से ही ऑडियंस का शानदार रिस्पॉन्स मिला है. ओपनिंग वीकेंड पर ‘जरा हटके जरा बचके’ ने अच्छी कमाई की थी हालांकि वीक डेज में फिल्म की कमाई में गिरावट आई. बावजूद इसके ‘जरा हटके जरा बचके’  ने भारत में 45 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली है. चलिए यहां जानते हैं फिल्म ने अपनी रिलीज के 9वें दिन यानी दूसरे शनिवार को बॉक्स ऑफिस पर कैसा परफॉर्म किया  और कितने करोड़ बटोरे?

जरा हटके जरा बचके’ ने 9वें दिन कितने करोड़ कमाए?
विक्की कौशल और सारा अली खान स्टारर फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ एक ऐसे जोड़े की कहानी है जो अपने परिवार से दूर रहने के लिए अपना खुद का घर चाहते हैं. फ्लैट पाने के लिए भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का फायदा उठाने के लिए उन्हें मजबूरन तलाक का रास्ता चुनना पड़ता है. क्या वे तलाक लेते हैं या नहीं? ये तो फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा. हालांकि कमाई की बात करें तो रोमांटिक कॉमेडी फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ बॉक्स ऑफिस पर शानदार बिजनेस कर रही है. वहीं अब फिल्म के रिलीज के 9वें दिन यानी दूसरे शनिवार की कमाई के शुरुआती आंकड़े भी आ गए हैं.

सैकनिल्क की अर्ली ट्रेड रिपोर्ट के मुताबिक ‘जरा हटके जरा बचके’ की कमाई में रिलीज के 9वें दिन यानी दूसरे शनिवार को उछला आया और इसने बॉक्स ऑफिस पर 5.50 करोड़ रुपयों की अनुमानित कमाई की है. इसी के साथ फिल्म का कुल कलेक्शन अब 46.27 करोड़ रुपये हो गया है.

50 करोड़ से कितनी दूर है ‘जरा हटके जरा बचके’
‘जरा हटके जरा बचके’ बॉक्स ऑफिस पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए और इसी के साथ फिल्म की कमाई का आंकड़ा 45 करोड़ के पार पहुंच चुक है. मेकर्स को उम्मीद है कि फिल्म रविवार को 50 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी. इसी के साथ ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद ‘जरा हटके जरा बचके’ विक्की की मुख्य भूमिका वाली दूसरी सबसे बड़ी कमाई वाली फिल्म बन चुकी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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