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फ्रांस के बाद अब इस देश में भी चलेगा UPI, कैशलेस होकर कर सकते हैं ट्रेवल

Sri Lanka Accepts UPI: भारत में UPI पेमेंट कितना पॉपुलर है ये बात हमे आपको बताने की जरूरत नहीं है. भारत सरकार UPI सर्विस को अब दूसरे देशो में भी शुरू करने पर जोर से रही है ताकि भारतीय लोगों को ट्रेवल में आसानी हो सके. हाल ही में पीएम मोदी फ्रांस की 2 दिवसीय यात्रा पर थे जहां से उन्होंने फ्रांस में UPI पेमेंट चलने की बात कही थी. फ्रांस के बाद अब एक और देश में UPI पेमेंट सर्विस शुरू होने जा रही है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. सिंगापुर, यूएई, नेपाल, भूटान और फ्रांस के बाद अब श्रीलंका भी भारत की यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान सेवा को अपनाने वाला नया देश है. यानि अगर आप श्री लंका ट्रेवल करते हैं तो अब आप UPI के जरिए वहा पेमेंट कर पाएंगे.

भारत का मोबाइल बेस्ड पेमेंट सिस्टम, UPI ग्राहकों को दिन के किसी भी समय तत्काल भुगतान करने की अनुमति देता है. इसके लिए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस यानि वीपीए का इस्तेमाल किया जाता है. UPI के अलावा भारत और श्रीलंका के बीच पेट्रोलियम लाइन और भूमि पुल कनेक्टिविटी को लेकर भी बातचीत हुई है. बता दें, 2022 में भारत ने श्रीलंका को लोन समेत 4 बिलियन डॉलर की सहायता की थी. भारत सरकार ने पड़ोसी देश को आर्थिक संकट से जूझने के लिए भोजन और ईंधन खरीदने में मदद की थी.

फ्रांस में इस जगह से शुरू होगी UPI सर्विस 

UPI सर्विस अभी पूरे फ्रांस में शुरू नही हुई है. UPI पेमेंट की शुरुआत एफिल टॉवर से शुरु होगी और लोग यहां Rupay कार्ड से टिकट खरीद पाएंगे.  फ्रांस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि यूरोपीय देश में भी यूपीआई भुगतान स्वीकार किए जाएंगे. इसके अलावा सिंगापुर ने भी यूपीआई भुगतान को अपनाया है. भारत की UPI और सिंगापुर की PayNow ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो लोगों को रियल टाइम, क्रॉस बॉर्डर सेक्योर पेमेंट करने की सुविधा देगा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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