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बॉक्स ऑफिस पर ‘भीड़’ को तगड़ा झटका, पांचवे दिन किया बस इतना बिजनेस

Bheed Box Office Collection Day 5: राजकुमार राव (Rajkummar Rao) स्टारर फिल्म ‘भीड़’ (Bheed) बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखाने में असफल साबित हुई. उम्मीदें बड़ी थीं, लेकिन बॉक्स ऑफिस का कलेक्शन हैरानगी भरा रहा. शायद इसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी. कहानी रियल थी, लगा था कि लोग खुद को रिलेट कर पाएंगे और सिनेमाघर में इसे देखने को मजबूर हो जाएंगे, लेकिन रिजल्ट उल्टा रहा. ओपनिंग डे में ही ‘भीड़’ की हालत खस्ता रही, अब जानते हैं कि पांचवें दिन फिल्म का क्या हाल था.

भीड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

अनुभव सिन्हा (Anubhav Sinha) द्वारा निर्देशित सोशल ड्रामा बेस्ड फिल्म ‘भीड़’ 24 मार्च 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. ओपनिंग डे का हाल तो सभी जानते हैं. वीकेंड्स पर भी फिल्म की कमाई नहीं हुई. अब पांचवे दिन यानी पहले मंगलवार का कलेक्शन सामने आया है, जो बहुत कम है, सैकनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भीड़’ (Bheed Box Office Collection) ने बॉक्स ऑफिस पर पांचवे दिन 16 लाख रुपये की कमाई की है. ये सोमवार के कलेक्शन से भी कम रहा. पहले सोमवार को फिल्म ने 20 लाख रुपये की कमाई की थी.

भीड़ की कहानी

बात करें ‘भीड़’ की कहानी तो सभी साल 2020 के कोरोनाकाल के मंजर से गुजरे हैं. दिसंबर 2019 में चीन में शुरू हुए कोरोना महामारी ने कुछ ही महीनों के अंदर पूरी दुनिया में कब्जा कर लिया था. भारत में भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा. महामारी बढ़ने लगी तो लॉकडाउन लग गया. इस दौरान रोजी रोटी कमा रहे मजदूरों को बहुत मुश्किलें हुईं. उनकी कमाई का जरिया छिन गया तो सभी मजदूर लॉकडाउन में ही अपने गांव की ओर निकल पड़े. ‘भीड़’ उसी मंजर को बयां करता है.

भीड़ की स्टार कास्ट

फिल्म में राजकुमार के अलावा भूमि पेडनेकर, दीया मिर्जा, आशुतोष राणा और पंकज कपूर भी लीड रोल में हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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