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‘बच्चों की पढ़ाई पर नहीं कोई असर,’ नवाजुद्दीन सिद्दीकी के दावे पर पत्नी आलिया का पलटवार

Nawazuddin Siddiqui Wife Controversy: हिंदी सिनेमा के दमदार एक्टर का जिक्र किया जाए तो उसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम जरूर शामिल होगा. बीते समय से नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) अपनी पत्नी आलिया सिद्दीकी के साथ चल रहे विवाद की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. नवाज ने एक बार ये कह चुके हैं कि पत्नी संग छिड़े इस विवाद से उनके दोनों बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा रहा है. इस बीच अब नवाज के इस बयान पर पलटवार करते हुए आलिया सिद्दीकी (Aaliya Siddiqui) ने अपना रिएक्शन दिया है. 

बच्चों की पढ़ाई को लेकर बोलीं आलिया

गुरुवार को इंस्टेंट बॉलीवुड ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर एक लेटेस्ट वीडियो शेयर किया है. ये वीडियो किसी और का नहीं बल्कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी आलिया सिद्दीकी का है. इस इंटरव्यू के दौरान आलिया से नवाज के इस बयान पर सवाल पूछा गया है, जिसमें बदलापुर फिल्म एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की बात कही थी. ये बात नवाज ने इंस्टाग्राम पर जारी अपने बयान के नोट में लिखी. 

इस पर अब आलिया सिद्दीकी ने अपना जवाब देते हुए कहा है कि- ‘बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. जिस तरीके से दोनों बच्चे दुबई में पढ़ाई कर रहे थे, उससे कई गुना अच्छी पढ़ाई उनकी इंडिया में चल रही हैं. जिसका मैं पूरा ख्याल रख रही हैं.’ मालूम हो कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी और आलिया सिद्दीकी के दो बच्चे हैं जिनमें बेटी शोरा सिद्दीकी और बेटा यानी सिद्दीकी शामिल हैं. 



जल्द होगा नवाजुद्दीन सिद्दीकी और आलिया का तलाक

हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की वाइफ आलिया सिद्दीकी (Aaliya Siddiqui) ने ई टाइम्स को इंटरव्यू देते हुआ बताया है कि ‘उनका और नवाज का तलाक जल्द ही ऑफिशियल होने वाला है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने बच्चों की कस्टडी के लिए कोर्ट में अर्जी डाली है, लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगी और अपने बच्चों के डटकर लडूंगी. मेरे दोनों बच्चे मेरे साथ रहना चाहते हैं. ‘

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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