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Google को इस वजह से भरना होगा 65 करोड़ से ज्यादा का फाइन

टेक जॉइंट गूगल को अपनी एक गलती के चलते 65 करोड़ से ज्यादा का फाइन US गवर्नमेंट को भरना होगा. दरअसल, कंपनी ने Texas में पिक्सल 4 स्मार्टफोन को लेकर झूठा एडवाटिस्मेंट चलाया था. इसके लिए फेडरल गवर्नमेंट समेत Texas अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कंपनी पर मुकदमा दर्ज किया था. अब इस मामलें में गूगल सरकार को 8 मिलियन डॉलर का भुगतान करेगा.

ये थी गलती

Texas के अटॉर्नी जनरल Ken Paxton के कार्यालय ने गूगल पर आरोप लगाया कि कंपनी ने स्टेट में दो रेडियो एनाउंसर को हायर किया और उनसे पिक्सल 4 स्मार्टफोन के बारे में झूठा एडवाटिस्मेंट करवाया. कंपनी ने एनाउंसर्स को स्मार्टफोन यूज नहीं करने दिया और इसका लिखा-लिखाया टेस्टिमोनल ऑन एयर किया जो बाजार नियमों के खिलाफ है. अटॉर्नी जनरल Ken Paxton ने कहा कि यदि कंपनी को Texas में व्यसाय करना है तो लोगों से सच बोलना होगा. यदि वे  झूठे एड्स चलाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इस मामलें पर गूगल की स्पोकपर्सन Jose Castaneda ने कहा कि कंपनी विज्ञापन कानूनों को सीरियसली लेती है और हम इस मुद्दे को पर दिए गए आदेश का पालन करेंगे.

बता दें गूगल एक मात्र ऐसी कंपनी नहीं है जो कस्टमर्स को इस तरह से ट्रिक कर रही हो. इससे पहले सैमसंग और Huawei पर भी कार्रवाई की जा चुकी है जो DSLR फोटो को मोबाइल की फोटो बताकर एडवाटिस्मेंट कर रहे थे. झूठे एडवाटिस्मेंट के अलावा भी गूगल पर Texas अटॉर्नी जनरल और फेडरल सरकार ने फेस डाटा कलेक्शन को लेकर पहले से मुकदमा दर्ज किया है.

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हाल ही में लॉन्च किया है ये फोन 

गूगल ने हाल ही में अपने I/O 2023 इवेंट में पिक्सल 7a स्मार्टफोन को ग्लोबली लॉन्च किया है. इस स्मार्टफोन को भारत में 11 मई को लॉन्च किया गया था. पिक्सल 7a स्मार्टफोन में 6.1 इंच की FHD प्लस एमोलेड डिस्प्ले मिलती है जो 90hz के रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करती है. स्मार्टफोन में 4300 एमएएच की बैटरी, 64MP का मेन कैमरा और 13MP का दूसरा कैमरा मिलता है और फ्रंट में सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए 10.8MP का कैमरा दिया गया है. ये स्मार्टफोन इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर, एंड्रॉइड 13 और 5 वॉट की वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट करता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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