बॉलीवुड और मनोरंजन

15 साल पहले बनी ये फिल्म है बड़ी डिजास्टर! दो सुपरस्टार्स ने किया था लीड, एक बना ‘खिलाड़ी’ तो दूसरे का करियर हुआ बर्बाद

India Biggest Flop Film: बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक हिट फिल्में बनी हैं तो वहीं बड़ी से बड़ी डिजास्टर फिल्में भी रही हैं. कई बार कम बजट में बनी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर दबदबा छा गया तो कभी बड़े बजट की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाती हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही फिल्म के बारे में बताने जा रही हैं जो काफी ज्यादा लागत से बनाई गई लेकिन बॉलीवुड की बड़ी डिजास्टर साबित हुई.

15 साल पहले एक ऐसी ही फिल्म थिएटर्स में रिलीज हुई थी जिसका बजट उस दौर में भी 80 करोड़ रुपए था. अक्षय कुमार, जायद खान, संजय दत्त और लारा दत्ता फिल्म के स्टारकास्ट का हिस्सा थे. ये साल 2009 में रिलीज हुई फिल्म ‘ब्लू’ थी. इस फिल्म का दर्शकों को काफी इंतजार था लेकिन रिलीज के बाद थिएटर्स में इसका सिक्का ना चल सका. 80 करोड़ का बजट और विदेशों में हुई शूटिंग का बाद भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई. 

इस एक्टर का करियर ले डूबी फिल्म
‘ब्लू’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 52 करोड़ रुपए कमाए थे, वहीं वर्ल्डवाइड भी महज 63 करोड़ रुपए ही बटोर पाई थी. यानी साफ है कि फिल्म अपनी लागत भी नहीं निकाल सकी. ‘ब्लू’ के बाद अक्षय कुमार की फ्लॉप लिस्ट में एक और नाम शुमार हो गया, हालांकि उनके करियर पर इसका खास असर नहीं हुआ. लेकिन ये फिल्म दूसरे स्टार जायद खान का करियर अपने साथ ले डूबी.


फिल्म इंडस्ट्री से दूर हुए एक्टर
जायद खान ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया. इनमें ‘शब्द’, ‘फाइट क्लब’, ‘दस’, ‘युवराज’, ‘चुरा लिया है तुमने’ शामिल हैं. लेकिन ‘ब्लू’ के डिजास्टर साबित होने के बाद एक्टर की कोई फिल्म नहीं चल सकी और वे फिल्म इंडस्ट्री से काफी दूर हो गए.

 

ये भी पढ़ें: ‘ये रसमलाई जीत की तरह लग रही है…’ कार्तिक आर्यन ने एक साल बाद चखा चीनी का स्वाद, वीडियो शेयर कर बताई वजह

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button