लंदन। क्राइस्टचर्च गोलीकांड के बाद नए मुस्लिम विरोधी हमलों में ब्रिटेन की चार मस्जिदें क्षतिग्रस्त क्र दी गई हैं। ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर में चार मस्जिदों में तोड़फोड़ की गई। इस हमले को ब्रिटेन में इस्लामोफोबिक हमला माना जा रहा है। पुलिस ने कहा है कि बर्मिंघम में चार मस्जिदों में खिड़कियों के शीशे तोड़े जाने के बाद आतंकवाद निरोधक अधिकारी जांच कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया है कि गुरुवार तड़के एक मस्जिद में हथोड़े से एक शख्स को खिड़कियों को तोड़ते हुए देखा गया।
5 मस्जिदों पर हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये हमले बुधवार देर रात से गुरुवार सुबह के बीच किया गया। बताया जा रहा है कि जैसे ही इस हमले की सूचना मिली उसके बाद ही पुलिस सक्रिय हो गई। पुलिस ने बताया है कि ये हमले अर्डिंगटन, एस्टन और पेरी बार में हुए हैं। इसके अलावा अलबर्ट रोड पर भी ऐसा ही हमला हुआ। ब्रिटेन के होम सेक्रटरी ने इस हमले को गंभीर और चिंता में डालने वाला बताया है। पुलिस ने कहा है कि कि अभी तक इन हमलों का असल पता नहीं चल सका है। पुलिस का कहना है कि इन हमलों का आपस में संबंध है।
आतंकी हमले की आशंका
ब्रिटेन की आतंकवाद विरोधी पुलिस ने इस घटना के बाद मस्जिदों तथा प्रभावित इलाकों में गश्त करनी शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि यह एक मुस्लिम विरोधी हमला है। बता दें कि पिछले शुक्रवार को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में एक मस्जिद पर आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 50 लोग मारे गए हैं। वेस्ट मिडलैंड्स के पुलिस प्रमुख डेव थॉम्पसन ने कहा कि घटना के लिये जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए आतंकवाद-रोधी इकाई काम कर रही है। वेस्ट मिडलैंड पुलिस के चीफ कांस्टेबल डेव ने कहा, “क्राइस्टचर्च में हुई दुखद घटनाओं के बाद से वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी मस्जिद, चर्चों और प्रार्थना स्थलों के सुरक्षा के लिए पूरे क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं।”
हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-‘जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।’ कबीर ने सिखाया – ‘न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर’। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक