टैकनोलजी

एक महीने से भी कम में इस शख्स ने AI के जरिए कमा लिए करोड़ों रुपये, भला ऐसा क्या किया काम?

Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लोगों की नौकरी खाने वाली टेक्नोलॉजी बताया जा रहा है. AI टूल आज वो सारे काम कर ले रहे हैं जो एक इंसान अबतक करता आ रहा है. AI टूल्स की खासियत ये है कि ये काम को जल्दी, एक्यूरेटली और समझदारी के साथ करते हैं. खैर ये बात सच नहीं है कि AI टूल लोगों की नौकरी खा जाएंगे. बल्कि AI के जरिए लोग करोड़ो की कमाई कर सकते हैं क्योकि अभी ये टेक्नोलॉजी नई है और इसमें अपार संभावनाएं हैं. ऐसी ही एक खबर इस बीच सामने आई है जहां एक शख्स के लिए AI वरदान बन गया और आज वे करोड़ो की कमाई कर रहे हैं.

दरअसल,साइप्रस के 32 वर्षीय उद्यमी ओले लेहमैन क्रिप्टो में इन्वेस्ट किया करते थे. वे 6 साल से ये काम कर रहे थे. लेकिन 11 नवंबर 2022 को एफटीएक्स क्रैश होने के बाद उन्हें भयंकर नुकसान हुआ. इसके बाद उन्हें लगा कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई है और वे अब कुछ नहीं कर पाएंगे.

2 हफ्ते बाद ही बदला जीवन 

एफटीएक्स क्रैश होने के बाद उन्हें चैट जीपीटी के बारे में पता लगा. लेहमैन ने चैट जीपीटी पर रिसर्च करना शुरू किया और फिर उन्हें इसमें रूचि आने लगी. इसके बाद जनवरी में लेहमैन ने ट्विटर पर एक अकाउंट बनाया जिसमें वे AI से जुड़े टिप्स और जानकारी पोस्ट करने लगे. समय के साथ उनका एक्सपीरियंस बढ़ते गया और अप्रैल महीने में उन्होंने “द एआई सोलोप्रेन्योर” लॉन्च किया, जो एक ट्विटर अकाउंट है, जो एकल उद्यमियों को एआई का उपयोग करके प्रोडक्शन को बढ़ाने की टिप्स देता है. लोगों को ये टिप्स पसंद आने लगे और महज 65 दिनों के भीतर, उनके 100,000 फ़ॉलोअर्स हो गए.

लॉन्च किया ये कोर्स 

AI में लोगों की बढ़ती रूचि को देखते हुए ओले लेहमैन ने “एआई ऑडियंस एक्सेलेरेटर” कोर्स बनाया जिसकी कीमत 179 डॉलर थी. इस कोर्स का मकसद  AI के जरिए उद्यमियों के लिए कंटेंट मार्केटिंग को बेहतर बनाना था. एक महीने के भीतर उनके कोर्स को 1,078 लोगों ने खरीदा. इस तरह उनकी एक महीने में ही कमाई 1 करोड़ से भी ऊपर चली गई.  

यह भी पढ़ें:

डेटा सेंटर बनाने के लिए SPMCIL ने इस कंपनी के साथ साइन किया कॉन्ट्रैक्ट, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से होंगे लैस

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button